तुलसीदास जयंती 2025: गोस्वामी तुलसीदास के जीवन और उनके योगदान का महत्व

तुलसीदास जयंती विशेष 2025
तुलसीदास जयंती विशेष 2025: आज श्रावण शुक्ल षष्ठी और सप्तमी का संगम है, जो बाबा तुलसी का जन्मदिन है। उनके अवतरण से मानवता को 'रामचरित मानस' के रूप में अमूल्य ज्ञान प्राप्त हुआ। यह ग्रंथ केवल एक पुस्तक नहीं है, बल्कि यह श्रुति, स्मृति, उपनिषद, इतिहास, विज्ञान और जीवन का गहन दर्शन है, जो भगवान शिव के मानस में रचा गया और गोस्वामी तुलसीदास जी की लेखनी से प्रकट हुआ। यह ग्रंथ सनातन जीवन संस्कृति का आधार है। इसमें हर पात्र का महत्व है। भगवान श्रीराम नायक हैं, जबकि महापंडित रावण प्रतिनायक हैं। दशरथ जी और दशानन के बीच का संतुलन, भरत जी की भक्ति और लक्ष्मण जी की सेवा का आदर्श भी इस ग्रंथ में दर्शाया गया है।
मानस का संदेश
गोस्वामी जी ने 'रामचरित मानस' को आकार देते समय सृष्टि का संविधान लिखा है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि सृष्टि में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तत्व मौजूद हैं। इस तथ्य को संत-असंत वंदना में प्रस्तुत किया गया है। ग्रंथ के आरंभ में वह लिखते हैं:
बंदउँ संत असज्जन चरना।
दुःखप्रद उभय बीच कछु बरना॥
बिछुरत एक प्रान हरि लेहीं।
मिलत एक दुख दारुन देहीं॥
यहां संत और असंत के बीच के अंतर को दर्शाया गया है। संतों का बिछड़ना दुखदायी होता है, जबकि असंतों का मिलना दुख देता है।
मानस से सीखने योग्य बातें
मानस से हमें रिश्तों का महत्व समझना चाहिए। राम ने मित्र धर्म का पालन करते हुए सुग्रीव से मित्रता की, जबकि उन्होंने बाली से मित्रता नहीं की। केवट की सेवा का सम्मान करते हुए राम ने उसे सजा नहीं दी।
जटायु और शबरी के प्रसंग में राम ने यह दिखाया कि समाज में निम्न माने जाने वाले भी उच्च स्थान प्राप्त कर सकते हैं। राम ने शबरी का जूठन खाकर उसे सम्मानित किया।
गोस्वामी तुलसीदास का दृष्टिकोण
गोस्वामी जी ने जाति-पांति के भेदभाव को नकारते हुए भक्ति के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि भक्ति में जाति का कोई महत्व नहीं है। राम ने शबरी को भामिनी कहकर संबोधित किया, जो उनके लिए आदर का प्रतीक है।
इस प्रकार, गोस्वामी तुलसीदास का जीवन और उनके विचार आज भी समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।