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तेज प्रताप यादव का निर्दलीय चुनावी ऐलान, आरजेडी में बढ़ी टकराव की स्थिति

तेज प्रताप यादव ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है, जिससे आरजेडी में आंतरिक संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो गई है। उन्होंने महुआ सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, जबकि उनके पिता लालू यादव ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया है। तेज प्रताप का यह कदम तेजस्वी यादव के लिए एक बड़ा झटका बन सकता है। जानें इस राजनीतिक घटनाक्रम का आरजेडी पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
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तेज प्रताप यादव का निर्दलीय चुनावी ऐलान, आरजेडी में बढ़ी टकराव की स्थिति

तेज प्रताप का चुनावी कदम

आरजेडी में आंतरिक संघर्ष: लालू यादव के बड़े बेटे और हसनपुर के विधायक तेज प्रताप यादव ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। इस अवसर पर उन्होंने पीले रंग की टोपी पहनी हुई थी। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि वे किसी राजनीतिक पार्टी की स्थापना नहीं करेंगे। फेसबुक पर 'टीम तेज प्रताप' नाम से एक पेज बनाकर युवाओं से जुड़ने की अपील की है। तेज प्रताप ने वैशाली जिले की महुआ सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है, जहां वर्तमान में आरजेडी के मुकेश कुमार विधायक हैं। मुकेश ने 2020 में जेडीयू की आश्मा परवीन को 13,000 से अधिक वोटों से हराया था। आइए जानते हैं कि तेज प्रताप यादव आरजेडी को कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं?


निष्कासन के बाद नया मोड़

तेज प्रताप यादव को उनके पिता और आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। इसके बाद, उन्होंने 'टीम तेजप्रताप' नाम से एक नई टीम बनाने का ऐलान किया है, जो आगामी चुनावों में विभिन्न सीटों से चुनाव लड़ेगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी तेज प्रताप ने जहानाबाद और शिवहर सीटों पर अपने करीबी लोगों को चुनाव में उतारने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। जहानाबाद सीट से उनके करीबी चंद्र प्रकाश यादव ने चुनाव लड़ा था।


परसेप्शन की लड़ाई

इस दौरान, तेज प्रताप ने चंद्र प्रकाश यादव के समर्थन में जोरदार प्रचार किया। उन्होंने चंद्र प्रकाश को लालू यादव का बेटा बताया, जिसके परिणामस्वरूप जेडीयू के चंद्रेश्वर प्रसाद ने 1751 वोटों से चुनाव जीत लिया। चुनाव के बाद कहा गया कि अगर तेज प्रताप अपना प्रत्याशी नहीं उतारते, तो आरजेडी चुनाव जीत जाती। राजनीति में परसेप्शन का बड़ा महत्व होता है, और चुनाव से पहले जो कुछ भी होता है, वह सब कुछ दिमाग में रहता है। ऐसे में परसेप्शन की लड़ाई में लालू यादव पिछड़ सकते हैं, जिसका फायदा जेडीयू और बीजेपी को मिल सकता है।


तेज प्रताप का संभावित नुकसान

2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए और इंडिया के बीच जीत-हार का अंतर केवल 11,000 वोटों का था। यदि तेज प्रताप यादव 4-5 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारते हैं, तो यह तेजस्वी यादव के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। पहले, लालू यादव के मुख्यमंत्री रहते सुभाष और साधु यादव ने काफी उत्पात मचाया था, जिसके बाद उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था। यदि तेज प्रताप महुआ से और अपने समर्थकों को चुनाव में उतारते हैं, तो यह तेजस्वी के लिए एक बुरा सपना साबित हो सकता है।