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तेज प्रताप यादव का बड़ा फैसला: स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरेंगे

बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ लेते हुए पूर्व विधायक तेज प्रताप यादव ने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। यह निर्णय उनके पिता लालू प्रसाद यादव द्वारा पार्टी से निकाले जाने के बाद आया है। तेज प्रताप ने कहा कि उनकी राजनीति अब जनता और सिद्धांतों पर आधारित होगी। जानें उनके इस फैसले के पीछे की वजहें और यह कैसे बिहार की राजनीतिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है।
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तेज प्रताप यादव का बड़ा फैसला: स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरेंगे

बिहार की राजनीति में नया मोड़

बिहार की राजनीतिक स्थिति में हलचल लाते हुए पूर्व विधायक तेज प्रताप यादव ने शनिवार को घोषणा की कि वह आगामी विधानसभा चुनावों में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में भाग लेंगे। यह निर्णय उनके पिता और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव द्वारा पार्टी से निकाले जाने के कुछ महीनों बाद आया है। तेज प्रताप ने इसे आत्म-सम्मान और जनसेवा के मार्ग पर चलने का निर्णय बताया।


राजद से बाहर का रास्ता

तेज प्रताप यादव, जो कभी राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख नेताओं में गिने जाते थे, हाल ही में पार्टी से निलंबित हो चुके हैं। उनके और पार्टी नेतृत्व, विशेषकर छोटे भाई तेजस्वी यादव के बीच संबंध काफी समय से तनावपूर्ण रहे हैं। अनुशासनहीनता और सार्वजनिक बयानों में संगठन की आलोचना के चलते लालू प्रसाद ने उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया।


स्वतंत्र चुनाव लड़ने का ऐलान

पटना में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेज प्रताप ने कहा, “मैं अब किसी पार्टी का मोहताज नहीं रहूंगा। मेरी राजनीति अब जनता और सिद्धांतों पर आधारित होगी, न कि परिवारवाद पर।” उन्होंने यह भी बताया कि वह बिहार के युवाओं, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर चुनाव में उतरेंगे।


नई पार्टी की योजना नहीं

हालांकि तेज प्रताप ने किसी नई पार्टी के गठन की घोषणा नहीं की है, लेकिन उनके समर्थक और कुछ पूर्व राजद नेता उनके साथ जुड़ने की तैयारी कर रहे हैं। जानकारों का मानना है कि तेज प्रताप स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में अपनी राजनीतिक ताकत को परखना चाहते हैं, ताकि भविष्य में वे कोई बड़ा राजनीतिक मंच तैयार कर सकें।


पारिवारिक मतभेदों का खुलासा

लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव से अलग रास्ता चुनने के तेज प्रताप के फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राजद परिवार में मतभेद अब चरम पर पहुंच चुके हैं। तेज प्रताप पहले भी पार्टी के कई निर्णयों से असहमत रहे हैं और उन्होंने कई बार अपने पिता को भी निशाना बनाया है।


चुनावी समीकरणों पर प्रभाव

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेज प्रताप का स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ना बिहार की राजनीति, विशेषकर राजद के पारंपरिक वोट बैंक में विभाजन पैदा कर सकता है। यदि तेज प्रताप सीमित लेकिन प्रभावशाली समर्थन जुटाने में सफल होते हैं, तो इससे तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता को भी चुनौती मिल सकती है।