तेजस्वी यादव का नीतीश कुमार को पत्र: आरक्षण बढ़ाने की मांग
बिहार में चुनावी हलचल
बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। हाल ही में केंद्र सरकार ने जनगणना की तारीखों की घोषणा की है, जो दो चरणों में संपन्न होगी। इस संदर्भ में, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने आरक्षण लागू करने की मांग की है। यह आरक्षण जातीय जनगणना के बाद बढ़ाया गया था।
आरक्षण की सीमा पर सवाल
तेजस्वी यादव ने पत्र में उल्लेख किया कि नीतीश कुमार महागठबंधन सरकार में 65 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को केंद्र की 9वीं अनुसूची में शामिल कराने में असफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि दलित, आदिवासी, पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग के वोटों के सहारे आरएसएस और बीजेपी के नेताओं को बिहार की जनता के साथ समझना होगा।
तमिलनाडु का उदाहरण
तेजस्वी यादव ने बताया कि अगस्त 2022 में सरकार में आने के बाद, बिहार में जाति आधारित जनगणना का कार्य शुरू किया गया था। इसके तहत पिछड़ों, अति पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के लिए आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 65 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया। हालांकि, उच्च न्यायालय ने इसे रद्द कर दिया, यह कहते हुए कि पर्याप्त प्रतिनिधित्व का अध्ययन नहीं किया गया। उन्होंने तमिलनाडु का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पिछले 35 वर्षों से 69 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है।
सर्वदलीय समिति की आवश्यकता
तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि एक सर्वदलीय समिति का गठन किया जाए और बिहार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए। उन्होंने कहा कि 85 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करते हुए इसे 9वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को तीन सप्ताह के भीतर भेजा जाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो राज्य के 90 प्रतिशत दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोगों के हित में एक जन आंदोलन शुरू किया जाएगा।
