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तेजस्वी यादव की जल्दी: क्या है पीछे की कहानी?

तेजस्वी यादव ने चुनाव परिणामों के बाद तुरंत समीक्षा बैठक बुलाई और विधायक दल की बैठक में खुद को नेता चुना। इस कदम के पीछे क्या कारण हैं? क्या उन्हें किसी खतरे का आभास था? जानें इस निर्णय की पृष्ठभूमि और पार्टी की स्थिति के बारे में। क्या यह परिवार में चल रही कलह का परिणाम है या कुछ और? इस लेख में जानें सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को।
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तेजस्वी यादव की जल्दी: क्या है पीछे की कहानी?

तेजस्वी यादव की समीक्षा बैठक

तेजस्वी यादव को इतनी जल्दी क्यों थी? यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। चुनाव परिणामों के तीन दिन बाद ही उन्होंने समीक्षा बैठक आयोजित की और विधायक दल की बैठक कर नेता का चयन भी कर लिया। पार्टी ने तुरंत यह घोषणा की कि राजद के 25 विधायक होने के कारण विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद उनके लिए बनता है। विधायक दल की बैठक में तेजस्वी को नेता चुने जाने के बाद कहा गया कि विधानसभा के गठन और स्पीकर के चुनाव के बाद पार्टी तेजस्वी के लिए नेता प्रतिपक्ष पद की मांग करेगी। यह सोचने वाली बात है कि विधानसभा अभी तक गठित नहीं हुई, न ही सत्र बुलाया गया है, और न ही स्पीकर का कोई संकेत है, फिर भी राजद ने तेजस्वी को नेता चुनकर नेता प्रतिपक्ष पद पर दावा कर दिया!


इसलिए सवाल उठता है कि क्या तेजस्वी यादव को किसी खतरे का आभास था? क्या परिवार में चल रही कलह के कारण उन्होंने यह निर्णय लिया या पार्टी में किसी तरह की टूट का डर था? हालांकि, वर्तमान में पार्टी के भीतर उन्हें कोई चुनौती नहीं है। फिर भी, कई चर्चाएं चल रही हैं। कुछ साजिश थ्योरी भी सामने आ रही हैं। पहले खबरें आई थीं कि तेजस्वी के कई विधायक जनता दल यू में जा सकते हैं। इसके बाद यह भी कहा गया कि सभी विधायक इस्तीफा दे सकते हैं। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। तेजस्वी ने समीक्षा बैठक बुलाकर खुद को नेता चुनवा लिया, और यह सब भाजपा और जदयू से पहले हुआ। कहा जा रहा है कि इस सलाह में संजय यादव का भी हाथ था।