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तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के आशा और ममता कार्यकर्ताओं के मानदेय वृद्धि पर उठाए सवाल

बिहार विधानसभा चुनाव के करीब आते ही तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आशा और ममता कार्यकर्ताओं के मानदेय वृद्धि के फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने उनकी मांगों को पूरी तरह से लागू नहीं किया और अब उन्हें मजबूरन मानदेय बढ़ाने की मांग को मानना पड़ेगा। तेजस्वी ने सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि क्या वे पिछले 20 वर्षों से केवल मूंगफली छील रहे थे। इस राजनीतिक विवाद ने राज्य में सियासी गर्मी को और बढ़ा दिया है।
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तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के आशा और ममता कार्यकर्ताओं के मानदेय वृद्धि पर उठाए सवाल

तेजस्वी यादव का बयान

तेजस्वी यादव ने आशा कार्यकर्ताओं पर टिप्पणी की: बिहार विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही राज्य में राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की, जिसमें आशा और ममता कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि को दोगुना कर दिया गया है। अब इन कार्यकर्ताओं को हर महीने 3000 रुपये मिलेंगे। इस निर्णय के बाद विवाद उत्पन्न हो गया है, और तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं।


तेजस्वी यादव ने कहा कि उन्होंने 17 महीने तक स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए आशा और ममता कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू की थी, जो अंतिम चरण में थी। लेकिन तब तक सरकार ने अपना रुख बदल लिया। यह एनडीए सरकार इस मुद्दे पर दो साल तक चुप रही। अब अंततः उन्हें आशा और ममता कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की मांग को मानना पड़ा है।


सरकार की चालाकी

हमारी मांगें पूरी करनी होंगी


तेजस्वी ने आगे कहा कि सरकार ने चालाकी से उनकी मांग को पूरी तरह से लागू नहीं किया। उन्हें प्रोत्साहन राशि नहीं, बल्कि मानदेय मिलना चाहिए। हम इन्हें मानदेय देंगे। अब इस सरकार को आंगनवाड़ी सेविकाओं और रसोइयों के मानदेय में वृद्धि की हमारी मांग को भी मानना पड़ेगा। उनके 17 महीनों के कार्यकाल में, उन्होंने विकास मित्र, शिक्षा मित्र, तालीमी मरकज और पंचायती राज प्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाया था।


सरकार की नीतियों पर सवाल

क्या आप अपनी बुद्धि का उपयोग करेंगे?


तेजस्वी ने कहा कि उनकी मांगों और घोषणाओं को देखकर यह स्पष्ट है कि सरकार डर गई है। यह डर अच्छा है, लेकिन क्या वे पिछले 20 वर्षों से केवल मूंगफली छील रहे थे? यही सरकार और उनके नेता जो उनकी घोषणाओं का मजाक उड़ाते थे, अब सत्ता के जाने के डर से भाग रहे हैं। क्या सब कुछ तेजस्वी का अनुकरण करना है, या अपनी बुद्धि का भी उपयोग करेंगे?