तेजस्वी यादव ने बिहार विधानसभा में सरकार पर उठाए सवाल

बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता का बयान
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने बुधवार को मतदाता सूची की जांच को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि पहले मतदाता सरकार का चुनाव करते थे, लेकिन अब सरकार मतदाताओं का चुनाव कर रही है।
पटना में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि यदि एक प्रतिशत लोगों के नाम भी सूची से हटाए जाते हैं, तो यह संख्या लगभग सात से आठ लाख तक पहुंच सकती है। भाजपा नेताओं पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि इन नेताओं ने दावा किया कि बिहार में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के मतदाता हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि ऐसा कोई तथ्य नहीं है।
इस दौरान तेजस्वी यादव ने विधानसभा में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि जब वे सदन में बोल रहे थे, तब उपमुख्यमंत्री ने भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि वे अध्यक्ष की अनुमति से बोल रहे थे और उपमुख्यमंत्री का यह व्यवहार अनुचित था। यदि विपक्ष का नेता सदन में नहीं बोलेगा, तो और कौन बोलेगा? सवाल पूछने का अधिकार किसका है?
उन्होंने विधानसभा में सदन के नेता और विपक्ष के नेता के बीच बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने बीच में क्यों हस्तक्षेप किया? उनका मानना है कि सभी पार्टियों के नेताओं को इस विषय पर खुलकर चर्चा करनी चाहिए।
तेजस्वी यादव ने कहा कि सत्तापक्ष के सदस्यों ने हल्की राजनीति की है और सदन की गरिमा को गिराने का प्रयास किया है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को धन्यवाद दिया कि उन्होंने उपमुख्यमंत्री को फटकार लगाई और स्पष्ट किया कि सदन का संचालन वे करेंगे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि उन्हें समझ में आ रहा है या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है। उन्होंने विधायक भाई वीरेंद्र के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया है और यह सही है कि सदन किसी की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं है।