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त्रिपुरा में भाजपा अध्यक्ष चुनाव टला, नेतृत्व में खींचतान जारी

त्रिपुरा में भाजपा के अध्यक्ष पद का चुनाव 29 जून को होना था, लेकिन पार्टी के संगठन महामंत्री बीएल संतोष के नए निर्देश के कारण इसे टाल दिया गया। मुख्यमंत्री मानिक साहा और पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब देब के बीच अध्यक्ष पद को लेकर खींचतान चल रही है। जानें इस राजनीतिक स्थिति के पीछे की कहानी और आगे क्या हो सकता है।
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त्रिपुरा में भाजपा अध्यक्ष चुनाव टला, नेतृत्व में खींचतान जारी

भाजपा अध्यक्ष चुनाव की नई स्थिति

त्रिपुरा में भाजपा के अध्यक्ष पद का चुनाव 29 जून को निर्धारित था। भाजपा के चुनाव अधिकारी के लक्ष्मण ने इसके लिए एक टाइमलाइन जारी की थी। यह स्पष्ट था कि रविवार, 29 जून को नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा की जाएगी। लेकिन 28 जून को पार्टी के संगठन महामंत्री बीएल संतोष द्वारा एक नया निर्देश जारी किया गया, जिसके तहत चुनाव को टाल दिया गया। यह सोचने वाली बात है कि प्रदेश अध्यक्ष का निर्णय कितने समय से लम्बित है। दो दिन पहले ही भाजपा के चुनाव अधिकारी ने अन्य राज्यों में चुनाव पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की और एक हफ्ते में कम से कम पांच राज्यों में अध्यक्ष के चुनाव का निर्णय लिया ताकि राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो सके। इसके बावजूद, त्रिपुरा में प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व के बीच खींचतान के कारण अध्यक्ष का नाम टल गया।


यह ध्यान देने योग्य है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री मानिक साहा हैं, जो कुछ साल पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब देब हैं, जो प्रदेश की राजनीति में अपनी स्थिति बनाए रखना चाहते हैं ताकि वे फिर से मुख्यमंत्री बन सकें। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री मानिक साहा अपने करीबी नेता टिंकू रॉय को प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहते हैं, जबकि उनकी दूसरी पसंद प्रदेश के भाजपा प्रवक्ता नबेंदु भट्टाचार्य हैं। दूसरी ओर, बिप्लब देब चाहते हैं कि पार्टी के प्रदेश संगठन के नेता और विधायक भगवान दास को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए। इस स्थिति में, प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव अटक गया है और अब बीएल संतोष और जेपी नड्डा को इस मामले में निर्णय लेना है।