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दक्षिण एशिया में युवा विद्रोह: नेपाल का हालिया आंदोलन

नेपाल में हालिया युवा विद्रोह ने डिजिटल सेंसरशिप के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया है। काठमांडू में युवा पीढ़ी ने ओली के निवास को आग के हवाले कर दिया, जिससे सरकार को पीछे हटना पड़ा। इस आंदोलन का कारण सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और युवाओं का असंतोष है। पिछले वर्षों में कोलंबो और ढाका में भी ऐसे ही विद्रोह हुए हैं। जानें कैसे ये युवा अपनी आवाज उठा रहे हैं और दक्षिण एशिया में राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहे हैं।
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दक्षिण एशिया में युवा विद्रोह: नेपाल का हालिया आंदोलन

दक्षिण एशिया में युवा असंतोष

दिल्ली के साथ-साथ काठमांडू, ढाका और कोलंबो में भी निठल्ले युवा बड़ी संख्या में हैं। इन युवाओं ने दक्षिण एशिया के तीन देशों के नेताओं को इस्तीफे देने पर मजबूर किया। राजपक्षे, हसीना वाजेद और ओली जैसे नेता, जो राष्ट्रवाद का दावा करते थे, जब भागे तो उनके लिए कोई भी नहीं रोया। ओली, जो भारत की भूमि पर दावा करते हुए नया नक्शा पास करवाने का प्रयास कर रहे थे, अब खुद को संकट में पा रहे हैं।


काठमांडू में युवा विद्रोह

हाल ही में काठमांडू में युवा पीढ़ी ने ओली के निवास को आग के हवाले कर दिया। ओली, जो सत्ता में बने रहने के लिए हर संभव प्रयास करते थे, अब इस्तीफा देने पर मजबूर हो गए हैं। नेपाल में सरकार के खिलाफ युवा आंदोलन ने काठमांडू के बानेश्वर क्षेत्र में भी आगजनी की।


कोलंबो और ढाका के उदाहरण

दो साल पहले कोलंबो में भी ऐसा ही दृश्य देखने को मिला था, जहां राजपक्षे को न केवल भगाया गया बल्कि राष्ट्रपति भवन में उत्पात की तस्वीरें भी साझा की गईं। ढाका में भी हसीना वाजेद को युवाओं के विरोध का सामना करना पड़ा, जिसके चलते उन्हें हेलिकॉप्टर से भागना पड़ा।


डिजिटल प्रतिबंध और युवा गुस्सा

काठमांडू में हालिया विरोध का कारण सोशल मीडिया पर प्रतिबंध था। इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब और अन्य प्लेटफार्मों पर रोक ने युवाओं के गुस्से को भड़का दिया। यह केवल डिजिटल सेंसरशिप का मामला नहीं था, बल्कि उनके अधिकारों और सम्मान का भी सवाल था।


नेपाल में युवा विद्रोह का विस्तार

8 सितंबर को नेपाल में युवा विद्रोह ने जोर पकड़ा, जब सरकार ने 26 सोशल मीडिया साइट्स पर प्रतिबंध लगाया। इस कदम ने हजारों छात्रों और युवाओं को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया। यह आंदोलन भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के खिलाफ एक बड़ा संघर्ष बन गया।


नेपाली युवाओं की आवाज

इस आंदोलन के पीछे 36 वर्षीय सुदन गुरुंग हैं, जिन्होंने व्यक्तिगत त्रासदी को सक्रियता में बदला। उन्होंने 'नेपो किड' नामक एक वायरल कैंपेन शुरू किया, जिसमें नेताओं के बच्चों की ऐशो-आराम भरी ज़िंदगी को उजागर किया गया। यह गुस्सा अब सड़कों पर फूट पड़ा है।


भारत का प्रभाव

नेपाल के युवा विद्रोह पर चर्चा करते समय भारत का उल्लेख अनिवार्य है। भारत ने नेपाल में कई बार हस्तक्षेप किया है, लेकिन 2015 की नाकाबंदी ने नेपाल को चीन की ओर धकेल दिया। अब नेपाल में भारत का प्रभाव कम होता जा रहा है।


दक्षिण एशिया में युवा मनोदशा

दक्षिण एशिया में युवा विद्रोह एक गहरी मनोदशा का संकेत है। युवा मौन हैं, लेकिन उनके भीतर असंतोष बढ़ रहा है। जब भी उनका धैर्य टूटेगा, वे सड़कों पर उतर आएंगे। यह हालात श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में समान हैं।