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दक्षिण कोरिया में चुनावी तूफान: ली जे-म्युंग ने जीता भारी जनादेश

दक्षिण कोरिया में हाल ही में हुए चुनाव में लिबरल उम्मीदवार ली जे-म्युंग ने भारी जनादेश प्राप्त किया है। एग्जिट पोल के अनुसार, उन्हें 51.7% वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी किम मून सू को 39.3% वोट मिले। यह चुनाव पूर्व राष्ट्रपति युन सुक योल के हटाए जाने के बाद हुआ, जिसने देश में राजनीतिक संकट को जन्म दिया। ली को अब देश की आर्थिक चुनौतियों और विदेशी नीति के मुद्दों का सामना करना होगा। जानें इस चुनाव के परिणाम और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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दक्षिण कोरिया में चुनावी तूफान: ली जे-म्युंग ने जीता भारी जनादेश

दक्षिण कोरिया में चुनावी परिणाम

दक्षिण कोरिया में मंगलवार को हुए अचानक चुनाव में लिबरल उम्मीदवार ली जे-म्युंग को एक विशाल जनादेश प्राप्त हुआ है। देश की तीन प्रमुख टेलीविजन ब्रॉडकास्टिंग एजेंसियों KBS, MBC, और SBS के संयुक्त एग्जिट पोल के अनुसार, ली को 51.7% वोट मिले, जबकि उनके कंजर्वेटिव प्रतिद्वंद्वी किम मून सू को केवल 39.3% वोट मिले। यह चुनाव पूर्व राष्ट्रपति युन सुक योल के अप्रत्याशित हटाए जाने के बाद हुआ, जिसने देश की राजनीति में एक नया मोड़ लाया है।


चुनाव का महत्व

राजनीतिक उथल-पुथल के बीच यह चुनाव देश के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। विजेता उम्मीदवार को बिना किसी पारंपरिक दो महीने की सत्ता हस्तांतरण अवधि के तुरंत पद ग्रहण करना होगा। ली जे-म्युंग को इस समय देश की धीमी आर्थिक स्थिति और नाजुक विदेशी नीति की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।


राजनीतिक संकट और चुनाव

पूर्व राष्ट्रपति युन सुक योल को दिसंबर में martial law लागू करने के बाद महाभियोग का सामना करना पड़ा और उन्हें पद से हटा दिया गया। उनकी अचानक विदाई ने देश में राजनीतिक संकट को गहरा कर दिया और व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। इस चुनाव ने जनता की नई उम्मीदों को जन्म दिया है।


उम्मीदवारों के बीच प्रतिस्पर्धा

ली जे-म्युंग, जो दक्षिण कोरिया के पूर्व गवर्नर हैं और कंजर्वेटिव नेतृत्व के कट्टर आलोचक माने जाते हैं, ने असमानता कम करने, आर्थिक सुधार लाने और सरकार में विश्वास बहाल करने का वादा किया। उन्होंने जनता से अपील की कि वे "विद्रोह की ताकतों" को नकारें, जो युन के martial law के फैसले से जुड़ी थीं। दूसरी ओर, किम मून सू, जो युन के अधीन पूर्व श्रम मंत्री रह चुके हैं, ने ली को पॉपुलिस्ट और तानाशाही प्रवृत्तियों वाला बताया।


विदेशी नीति की चुनौतियाँ

ली जे-म्युंग ने विदेश नीति में संयमित रुख अपनाया है, लेकिन अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापार तनाव और उत्तर कोरिया के साथ अटकी हुई कूटनीति उनके सामने बड़ी चुनौती है। विश्लेषक मानते हैं कि वे वाशिंगटन के साथ मजबूत संबंध बनाए रखने के साथ ही पीयोंगयांग के साथ बातचीत भी जारी रखेंगे।


चुनाव परिणाम की प्रतीक्षा

हालांकि एग्जिट पोल ने ली के भारी बहुमत की भविष्यवाणी की है, आधिकारिक नतीजे आधी रात तक आने की उम्मीद है। यदि यह परिणाम सही साबित होता है, तो ली जे-म्युंग दक्षिण कोरिया के लोकतंत्र के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।