दत्तात्रेय होसबोले के बयान से सियासी हलचल, कांग्रेस और बीजेपी में तीखी नोकझोंक

दत्तात्रेय होसबोले का विवादास्पद बयान
दत्तात्रेय होसबोले के बयान पर सियासी प्रतिक्रिया: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने हाल ही में एक बयान दिया है, जिसने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने संविधान की प्रस्तावना से 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को हटाने की मांग की और कांग्रेस से इमरजेंसी के लिए माफी की अपील की। इस पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है, जबकि बीजेपी भी जवाबी हमले कर रही है। विशेषज्ञ भी इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं।
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस ने होसबोले के बयान को आरक्षण विरोधी मानसिकता करार दिया है। इंडिया अलायंस के नेताओं ने इसे संविधान के मूल ढांचे पर हमला बताया है। उनका कहना है कि यह बयान दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक विरोधी एजेंडे को उजागर करता है। कांग्रेस का आरोप है कि आरएसएस और बीजेपी संविधान में बदलाव की बात कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें समावेशी भारत से डर है।
बीजेपी का बचाव
बीजेपी ने होसबोले का समर्थन करते हुए कांग्रेस पर पलटवार किया है। पार्टी ने कहा कि जिन लोगों ने इमरजेंसी लगाई, वही आज संविधान की रक्षा की बात कर रहे हैं। बीजेपी ने यह भी कहा कि वह संविधान की मूल भावना की रक्षा करती है, जबकि कांग्रेस आज भी तानाशाही मानसिकता के साथ जी रही है।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का दृष्टिकोण: कांस्टीट्यूशनल एक्सपर्ट रोहित पाण्डे ने कहा कि 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द संविधान की मूल संरचना को स्पष्ट करते हैं। इन्हें हटाना न केवल कठिन है, बल्कि व्यावहारिक भी नहीं है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या होसबोले के बयान से बीजेपी को कोई लाभ होगा या विपक्ष को और अधिक हमले करने का मौका मिलेगा।