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दलित उत्पीड़न के खिलाफ कांग्रेस और सामाजिक संगठनों का प्रदर्शन

रेवाड़ी में दलित उत्पीड़न के खिलाफ कांग्रेस और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने एक बड़ा प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने जिला सचिवालय के बाहर बैठकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और उपायुक्त को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। एआईसीसी सचिव चिरंजीव राव ने हालिया घटनाओं को चिंता का विषय बताया और सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग की। जानें इस प्रदर्शन के पीछे की पूरी कहानी और इसके महत्व को।
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दलित उत्पीड़न के खिलाफ कांग्रेस और सामाजिक संगठनों का प्रदर्शन

प्रदर्शन का आयोजन


  • धरने पर बैठे प्रदर्शनकारी जिला सचिवालय के गेट के बाहर
  • उपायुक्त को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया


रेवाड़ी समाचार। एडीजीपी वाई पूरण कुमार की संदिग्ध आत्महत्या, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की घटना और रायबरेली में हरिओम वाल्मिकी की हत्या के खिलाफ सोमवार को विभिन्न संगठनों और कांग्रेस पार्टी ने एक बड़ा प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने जिला सचिवालय के गेट के बाहर बैठकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। बाद में, उपायुक्त अभिषेक मीणा को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया।


प्रदर्शनकारियों ने राजीव चौक पर एकत्र होकर जिला सचिवालय तक एक जोरदार मार्च निकाला। उन्होंने वाई पूरण कुमार को न्याय दिलाने और दलितों पर अत्याचार बंद करने जैसे नारे लगाए। इस प्रदर्शन में पूर्व विधायक चिरंजीव राव, जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रवीण चौधरी, ग्रामीण अध्यक्ष सुभाष छावड़ी, महिला कांग्रेस की जिला अध्यक्ष सीमा धमीजा, और अन्य कई कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल हुए।


हरियाणा में हालिया घटनाएँ

राज्य और देश के लिए चिंता का विषय


इस अवसर पर एआईसीसी सचिव चिरंजीव राव ने कहा कि हरियाणा में हाल ही में हुई घटनाएँ न केवल राज्य बल्कि पूरे देश के लिए चिंता का विषय हैं। वाई पूरण कुमार की आत्महत्या ने पूरे सिस्टम को हिला दिया है, जबकि मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की घटना ने लोकतंत्र और न्यायपालिका की गंभीर स्थिति को उजागर किया है।


उन्होंने कहा कि यदि सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश भी अदालत में सुरक्षित नहीं है और एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी जातिगत भेदभाव के कारण आत्महत्या करने को मजबूर होता है, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।


परिवार की इच्छाओं का उल्लंघन

जबरन पोस्टमार्टम की घटना


चिरंजीव राव ने कहा कि वाई पूरण कुमार दलित समुदाय से थे और उनके सुसाइड नोट में मानसिक उत्पीड़न और जातिगत भेदभाव का स्पष्ट उल्लेख है, जो सरकार की दलित-विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सरकार मृतक के परिवार की इच्छाओं को नजरअंदाज कर रही है। परिवार ने पोस्टमार्टम नहीं करवाने की इच्छा जताई थी, फिर भी उनकी इच्छा के खिलाफ जबरन पोस्टमार्टम कराया गया।


उन्होंने मांग की कि वाई पूरण कुमार आत्महत्या मामले की उच्च न्यायालय की निगरानी में निष्पक्ष जांच की जाए और दलित समाज के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों पर ठोस कदम उठाए जाएं।


कांग्रेस पार्टी का समर्थन

जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रवीण चौधरी और ग्रामीण अध्यक्ष सुभाष छावड़ी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी पीड़ित परिवार के साथ मजबूती से खड़ी है और यह लड़ाई सड़क से लेकर सदन तक जारी रहेगी।