दिल्ली दंगा मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: पुलिस ने पेश किए सबूत और वीडियो
दिल्ली दंगा मामले की सुनवाई
दिल्ली दंगा मामले में सुप्रीम कोर्ट में गहन सुनवाई का आयोजन किया गया। इस दौरान, दिल्ली पुलिस ने जमानत के खिलाफ कड़ा विरोध करते हुए कई दस्तावेज, तर्क और वीडियो साक्ष्य अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए। पुलिस की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता एस.वी. राजू ने अदालत में अपनी बात रखी, जिसमें उन्होंने बताया कि यह घटनाक्रम पूर्व नियोजित था, खासकर जब नागरिकता संशोधन विधेयक संसद में पारित होने वाला था।
वीडियो साक्ष्य का महत्व
एएसजी ने अदालत में प्रस्तुत वीडियो का उल्लेख करते हुए कहा कि आरोपियों ने सीएए के विरोध को एक अवसर के रूप में लिया। उनके अनुसार, आरोपियों के समूह ने यह सोचकर योजना बनाई कि इस आंदोलन के माध्यम से वे देश के मुस्लिम समुदाय को अपने पक्ष में एकजुट कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल एक सामान्य विरोध प्रदर्शन नहीं था, बल्कि ऐसी गतिविधि थी जिसका उद्देश्य दिल्ली की आपूर्ति व्यवस्था को बाधित करना और स्थिति को अस्थिर करना था।
आर्थिक कड़ी को बाधित करने की योजना
राजू ने आगे कहा कि आरोपियों की योजना असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र की आर्थिक कड़ी को बाधित करने की थी। उन्होंने विशेष रूप से 'चिकन नेक' का उल्लेख किया, जो 16 किलोमीटर लंबा एक संकरा भौगोलिक क्षेत्र है, जो असम को बाकी भारत से जोड़ता है। उनका कहना था कि इस कनेक्टिविटी को निशाना बनाकर देश की आर्थिक गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव डालने का प्रयास किया गया।
संवेदनशील मुद्दों का उल्लेख
एएसजी ने यह भी बताया कि वीडियो में आरोपी कश्मीर के मुद्दे, तीन तलाक और बाबरी मस्जिद जैसे संवेदनशील विषयों का उल्लेख करते हैं, जिससे माहौल को भड़काने की कोशिश स्पष्ट होती है। उन्होंने कहा कि वीडियो के कुछ हिस्सों में अदालत की गरिमा को चुनौती देने वाले बयान भी सुनाई देते हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को प्रभावित करने की साजिश
एएसजी ने यह दावा किया कि कथित साजिश का समय जानबूझकर उस समय के साथ मेल खाता है जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत दौरे पर थे। उन्होंने कहा कि यह कोई संयोग नहीं था, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति थी, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को प्रभावित करना और राजनीतिक अस्थिरता पैदा करना था।
अगली सुनवाई की तारीख
सुनवाई के दौरान जब एएसजी ने कहा कि मुख्य आरोपी हिंसा को बढ़ावा देने और अलगाववादी विचार फैलाने की बात करता है, तो अदालत ने उनसे यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या उनका मतलब है कि आरोपी ने भीड़ को उत्तेजित किया या हिंसा के लिए उकसाया। इस पर आगे की बहस अगली तारीख पर जारी रहेगी।
