दिल्ली नगर निगम चुनाव: भाजपा और आप के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई
दिल्ली में मिनी चुनाव की तैयारी
दिल्ली की नगर निगम चुनाव में अभी दो साल का समय बाकी है, लेकिन इससे पहले एक छोटे चुनाव का आयोजन हो रहा है। विधानसभा चुनाव में कई पार्षदों के विधायक बनने और अन्य कारणों से एमसीडी की 12 सीटें खाली हो गई हैं, जिन पर चुनाव होने जा रहा है। पिछले नगर निगम चुनाव में भाजपा ने आम आदमी पार्टी को हराकर निगम पर नियंत्रण स्थापित किया था। अब इन 12 सीटों के लिए चुनाव दोनों पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। आम आदमी पार्टी को यह साबित करना है कि दिल्ली में उसका आधार पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पंजाब विधानसभा चुनाव में अब डेढ़ साल से भी कम समय बचा है, और आम आदमी पार्टी को हर हाल में अपनी सरकार को बनाए रखना है।
भाजपा और आम आदमी पार्टी की चुनौतियाँ
भाजपा की रेखा गुप्ता की सरकार को बने एक साल से कम समय हुआ है। पहले साल में ही लोगों ने बारिश के दौरान नालों का जाम होना, सड़कों पर जलजमाव, छठ पर यमुना की गंदगी और अब सर्दियों में वायु प्रदूषण का सामना किया है। ऐसे में भाजपा के लिए यह चुनाव चुनौतीपूर्ण होना चाहिए था, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि आम आदमी पार्टी अधिक कठिनाई में है। पहले, पार्टी के पूर्व विधायक शुएब इकबाल ने पार्टी छोड़ दी। उनके बेटे आले मोहम्मद इकबाल मटिया महल से आम आदमी पार्टी के विधायक हैं। दोनों ने चांदनी महल वार्ड से अपने रिश्तेदार को पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया था, लेकिन आम आदमी पार्टी ने उनकी पसंद को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद पार्टी ने कहा कि इस बार उसने केवल अपने जमीनी कार्यकर्ताओं को टिकट दिया है।
आम आदमी पार्टी की टिकट वितरण में खामियाँ
हालांकि, पार्टी की तैयारियों में कमी दिखाई दी, जैसे कि ढिचाऊं कलां की महिलाओं के लिए आरक्षित सीट पर पुरुष उम्मीदवार की घोषणा करना। इसी तरह, चार साल पहले रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार एक महिला को भी आम आदमी पार्टी ने टिकट दिया है।
