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दिल्ली में क्लाउड सीडिंग के नए परीक्षण: बारिश की उम्मीदें और चुनौतियाँ

दिल्ली में क्लाउड सीडिंग के नए परीक्षणों की घोषणा की गई है, जिसमें सात और परीक्षण किए जाने की योजना है। पहले दो परीक्षणों में कुछ बारिश हुई, लेकिन बादलों की आर्द्रता में कमी के कारण आगे के प्रयास रुके हुए हैं। आईआईटी कानपुर के निदेशक ने बताया कि कृत्रिम बारिश की लागत और प्रभावशीलता पर चर्चा की गई है। जानें इस तकनीक के बारे में और क्या उम्मीदें हैं।
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दिल्ली में क्लाउड सीडिंग के नए परीक्षण: बारिश की उम्मीदें और चुनौतियाँ

दिल्ली में क्लाउड सीडिंग के परीक्षण

दिल्ली में क्लाउड सीडिंग से संबंधित एक महत्वपूर्ण अपडेट सामने आया है। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने जानकारी दी है कि राजधानी में इस तकनीक के सात और परीक्षण किए जाएंगे। अब तक दो परीक्षण किए जा चुके हैं, लेकिन बादलों की आर्द्रता में कमी के कारण आगे के परीक्षण रुके हुए हैं। पहले दो परीक्षणों के दौरान नोएडा के आस-पास कुछ बारिश हुई, लेकिन अन्य क्षेत्रों में बारिश नहीं हुई। वर्तमान में, बादलों की नमी केवल 15-20 प्रतिशत है, और जैसे ही यह बढ़ेगी, परीक्षण फिर से शुरू होंगे। मंगलवार को कानपुर से उड़ान भरने वाले सेसना विमान द्वारा दिल्ली में छह से अधिक स्थानों पर क्लाउड सीडिंग का प्रयास किया गया था, लेकिन कम नमी के कारण कृत्रिम बारिश संभव नहीं हो पाई।


आईआईटी कानपुर के निदेशक डॉ. मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि क्लाउड सीडिंग के आगे के परीक्षण बादलों की नमी पर निर्भर करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यदि पूरे सर्दी के मौसम में कृत्रिम बारिश कराई जाती है, तो इसकी लागत लगभग 25 करोड़ रुपये हो सकती है। अगले चरण में, हम कानपुर के बजाय दिल्ली के आसपास किसी अन्य स्थान से विमान उड़ाने पर विचार कर सकते हैं, जिससे लागत में कमी आ सकती है।


दिल्ली में मंगलवार को क्लाउड सीडिंग के दौरान नोएडा के मयूर विहार क्षेत्र में कुछ बारिश हुई। डॉ. मणींद्र के अनुसार, हालांकि कृत्रिम बारिश नहीं हुई, लेकिन इससे प्रदूषण में कमी आई है।