दिल्ली में निजी स्कूलों की फीस वृद्धि पर सियासी विवाद

दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र और फीस वृद्धि का मुद्दा
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र से पहले निजी स्कूलों की फीस में वृद्धि को लेकर राजनीतिक विवाद तेज हो गया है। आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार एक ऐसा विधेयक लाने की योजना बना रही है, जो केवल निजी स्कूलों के मालिकों के हितों की रक्षा करेगा, न कि छात्रों और उनके अभिभावकों के।
आतिशी ने बताया कि यह विधेयक पहले अप्रैल में पारित होने की बात थी, फिर इसे मई में अध्यादेश के माध्यम से लाने का प्रस्ताव था, और अब इसे मानसून सत्र में पेश करने की बात की जा रही है। लेकिन असलियत यह है कि पिछले चार महीनों में इसे जानबूझकर विधानसभा में नहीं लाया गया, जिससे स्कूल प्रबंधन को मनमानी फीस वसूलने की छूट मिलती रहे।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक में कहीं भी यह नहीं लिखा गया है कि 2024-25 में फीस वृद्धि पर कोई रोक लगेगी। न ही 13 पन्नों के इस विधेयक में फीस का ऑडिट कराने का कोई प्रावधान है। यहां तक कि फीस बढ़ाने वाली समिति की अध्यक्षता भी स्कूल प्रबंधन करेगा। इसका मतलब है कि स्कूल जो भी कहेगा, वही मान लिया जाएगा। यह विधेयक स्पष्ट रूप से स्कूल मालिकों को बचाने के लिए लाया गया है।
आम आदमी पार्टी की मांगें
आम आदमी पार्टी ने इस विधेयक को लेकर दो प्रमुख मांगें रखी हैं। पहली, इसे विधानसभा की चयन समिति को भेजा जाए ताकि उस पर विस्तार से चर्चा हो सके। दूसरी, जब तक यह विधेयक अंतिम रूप से पारित नहीं होता, तब तक सभी निजी स्कूलों को 2024-25 की मौजूदा फीस संरचना पर बनाए रखने का आदेश दिया जाए।
आतिशी ने कहा कि हम इस विधेयक का विरोध सड़क से लेकर अदालत तक करेंगे। यह विधेयक न तो छात्रों के हित में है और न ही अभिभावकों के। इस मुद्दे पर आप विधायक संजीव झा ने भी दिल्ली सरकार पर हमला करते हुए कहा कि यह विधेयक निजी स्कूलों द्वारा फीस में की गई बेतहाशा वृद्धि को कानूनी मान्यता देने की साजिश है।
उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार बनने के बाद स्कूलों ने मनमाने तरीके से फीस बढ़ा दी और अब सरकार इस फैसले को वैध बनाने में जुटी है। वहीं, तमिलनाडु की एक महिला सांसद से चेन स्नेचिंग के मामले में आतिशी ने कहा कि दिल्ली के वीआईपी क्षेत्र, एनडीएमसी क्षेत्र, जहां दिल्ली पुलिस, उपराज्यपाल और केंद्र सरकार का नियंत्रण है, वहां एक सांसद भी सुरक्षित नहीं है। तो आम जनता की सुरक्षा का क्या हाल होगा?
उन्होंने कहा कि पहले लोग कहते थे कि केजरीवाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच टकराव होता है। अब जनता देख रही है कि जितने अधिक 'इंजन' होंगे, उतनी ही ज्यादा दिल्ली की दुर्दशा होगी।