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दिल्ली में पुराने वाहनों पर प्रतिबंध: नई नीति का प्रभाव

दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक नया नियम लागू किया गया है, जिसके तहत 15 साल से पुराने पेट्रोल और 10 साल से पुराने डीजल वाहनों को ईंधन नहीं मिलेगा। यह निर्णय लाखों वाहन मालिकों को प्रभावित करेगा। जानें इस नियम के पीछे का उद्देश्य, इसके प्रभाव और वाहन मालिकों के लिए विकल्प क्या हैं। क्या यह कदम वायु गुणवत्ता में सुधार करेगा? पढ़ें पूरी जानकारी।
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दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त कदम

दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए आज से एक नया नियम लागू किया गया है, जिसका सीधा असर लाखों वाहन मालिकों पर पड़ेगा। 1 जुलाई से, 15 साल से पुराने पेट्रोल और 10 साल से पुराने डीजल वाहनों को शहर के किसी भी पेट्रोल पंप से ईंधन नहीं मिलेगा। इस निर्णय का उद्देश्य दिल्ली की बिगड़ती वायु गुणवत्ता में सुधार करना है।


यदि आपके पास ऐसा वाहन है जो इस सीमा से अधिक पुराना है, तो आपको न केवल ईंधन नहीं मिलेगा, बल्कि यदि वाहन सड़क पर पाया गया, तो चालान या जब्ती की कार्रवाई भी हो सकती है। यह नियम केवल दिल्ली में रजिस्टर्ड वाहनों पर ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों के पुराने वाहनों पर भी लागू होगा यदि वे दिल्ली में चलते हैं।


दिल्ली के लगभग सभी पेट्रोल पंपों पर अब स्पष्ट नोटिस लगाए गए हैं, जिसमें कहा गया है कि पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों को ईंधन नहीं दिया जाएगा। कुछ स्थानों पर माइक से घोषणाएं भी की जा रही हैं ताकि वाहन चालकों को पहले से सूचित किया जा सके। हर पंप पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और पूरी प्रक्रिया की निगरानी की जा रही है।


दिल्ली सरकार ने इस अभियान को लागू करने के लिए पुलिस, परिवहन विभाग और नगर निगम की संयुक्त टीम बनाई है। राजधानी के 350 पेट्रोल पंपों पर निगरानी और कार्रवाई के लिए टीमें तैनात की गई हैं। हर जोन में यह तय किया गया है कि कौन सी एजेंसी किस क्षेत्र की जिम्मेदारी संभालेगी।


दिल्ली सरकार ने 17 जून को इस प्रबंधन के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की थी। इसके अनुसार, सभी पेट्रोल पंपों को उन वाहनों का रिकॉर्ड रखना होगा जिन्हें ईंधन नहीं दिया गया। नियमों के उल्लंघन पर पेट्रोल पंप के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है।


इस नए नियम के तहत ट्रैफिक पुलिस को अधिकार दिए गए हैं कि वे नियम तोड़ने वाले वाहनों को जब्त कर सकें या चालान काट सकें। इसके अलावा, कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर पंप पर दो अतिरिक्त पुलिसकर्मी भी तैनात किए गए हैं।


कुछ लोग इस निर्णय का स्वागत कर रहे हैं और इसे वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए एक सही कदम मानते हैं, जबकि कई पुराने वाहन मालिक इसे अचानक लागू किया गया निर्णय मानते हैं और सरकार से कुछ मोहलत की मांग कर रहे हैं। कई परिवारों के लिए यह आर्थिक झटका भी साबित हो सकता है।


यह स्पष्ट है कि दिल्ली अब वायु प्रदूषण से निपटने के लिए केवल अपीलों और चेतावनियों से आगे बढ़ चुकी है। अब सख्ती से अमल हो रहा है। ऐसे में वाहन मालिकों को समय रहते विकल्प खोजने की आवश्यकता है, चाहे वह स्क्रैपिंग हो, इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर रुख हो या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग।