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दिल्ली में बन रही नई 'स्पोर्ट्स सिटी': खेल मंत्रालय की महत्वाकांक्षी योजना

दिल्ली में खेल मंत्रालय एक नई 'स्पोर्ट्स सिटी' बनाने की योजना बना रहा है, जिसमें जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम को ध्वस्त कर एक आधुनिक खेल परिसर विकसित किया जाएगा। यह परियोजना अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप खेल अधोसंरचना तैयार करने के उद्देश्य से बनाई जा रही है। मंत्रालय कतर और ऑस्ट्रेलिया के सफल स्पोर्ट्स मॉडल से प्रेरणा ले रहा है। नई स्पोर्ट्स सिटी में एथलेटिक्स, फुटबॉल, तैराकी और अन्य खेलों के लिए सुविधाएं होंगी। यह परियोजना न केवल खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण प्रदान करेगी, बल्कि दिल्ली को एशिया में खेलों का प्रमुख केंद्र भी बना सकती है।
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दिल्ली में बन रही नई 'स्पोर्ट्स सिटी': खेल मंत्रालय की महत्वाकांक्षी योजना

नई खेल सुविधाओं का विकास


नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी में खेल सुविधाओं को एक नई दिशा देने की योजना बनाई जा रही है। खेल मंत्रालय एक महत्वाकांक्षी परियोजना पर कार्यरत है, जिसके अंतर्गत जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम को पूरी तरह से ध्वस्त कर एक अत्याधुनिक 'स्पोर्ट्स सिटी' का निर्माण किया जाएगा। यह परियोजना लगभग 102 एकड़ में फैली होगी और इसे देश की सबसे बड़ी और आधुनिक खेल सुविधाओं में से एक माना जाएगा।


स्पोर्ट्स सिटी का उद्देश्य

स्पोर्ट्स सिटी बनाने का विजन और उद्देश्य
इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य भारत में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप खेल अधोसंरचना का निर्माण करना है। मंत्रालय का लक्ष्य है कि दिल्ली में ऐसा केंद्र स्थापित किया जाए, जो न केवल राष्ट्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर टूर्नामेंट्स की मेज़बानी कर सके। यह 'स्पोर्ट्स सिटी' एकीकृत खेल हब के रूप में विकसित की जाएगी, जिसमें एथलेटिक्स, फुटबॉल, तैराकी, इनडोर खेल और प्रशिक्षण सुविधाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध होंगी।


अंतरराष्ट्रीय मॉडल से प्रेरणा

कतर और ऑस्ट्रेलिया से प्रेरित मॉडल
खेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी इस परियोजना को विश्वस्तरीय बनाने के लिए कतर और ऑस्ट्रेलिया के सफल स्पोर्ट्स मॉडल का अध्ययन कर रहे हैं। दोहा के Aspire Zone और ऑस्ट्रेलिया के Australian Institute of Sport जैसे केंद्रों के आधार पर इस नई स्पोर्ट्स सिटी का डिज़ाइन तैयार किया जाएगा। मंत्रालय की टीमें इन मॉडलों के अनुसार यह सुनिश्चित करेंगी कि भारत की नई खेल नगरी तकनीकी, पर्यावरणीय और एथलेटिक दृष्टियों से उत्कृष्ट हो।


जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम का इतिहास

जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम का गौरवशाली इतिहास
दिल्ली का जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम भारत के खेल इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। इसे 1982 के एशियन गेम्स के लिए स्थापित किया गया था और 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान इसका व्यापक पुनर्निर्माण किया गया। लगभग 60 हजार दर्शकों की क्षमता वाला यह स्टेडियम दशकों से देश के प्रमुख खेल आयोजनों और राष्ट्रीय समारोहों का केंद्र रहा है। यहां एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं से लेकर फुटबॉल मैच, सांस्कृतिक कार्यक्रम और स्वतंत्रता दिवस के आयोजन होते रहे हैं।


आधुनिक सुविधाओं का समावेश

हालिया आयोजन और आधुनिक सुविधाएं
इस वर्ष की शुरुआत में जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप का आयोजन किया गया था। इस अंतरराष्ट्रीय इवेंट के लिए विशेष रूप से एक नया मोंडो ट्रैक बिछाया गया था, जिसकी लागत लगभग 30 करोड़ रुपये थी। यह ट्रैक उस समय देश के सबसे उन्नत खेल सतहों में से एक माना गया।


भविष्य की दिशा में कदम

भविष्य की ओर कदम
नई 'स्पोर्ट्स सिटी' परियोजना केवल एक खेल परिसर नहीं होगी, बल्कि यह भारत के खेल भविष्य की नींव साबित हो सकती है। इसका उद्देश्य खिलाड़ियों को अत्याधुनिक प्रशिक्षण सुविधाएं उपलब्ध कराना, अंतरराष्ट्रीय इवेंट्स की मेज़बानी करना और युवाओं को खेलों की ओर प्रेरित करना है। इस परियोजना के पूरा होने के बाद दिल्ली न केवल भारत बल्कि एशिया में खेलों का प्रमुख केंद्र बन सकता है।