दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद का प्रभाव: पीएम मोदी के शासन में झलक

दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद
पंडित दीनदयाल उपाध्याय, जो भारतीय जनसंघ के संस्थापक और आरएसएस के प्रमुख प्रचारक रहे, के एकात्म मानववाद पर दिए गए व्याख्यान को आज 60 वर्ष पूरे हो गए हैं। 1963 में मुंबई के रामनारायण रुइया कॉलेज में उपाध्याय ने इस विषय पर चार महत्वपूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत किए, जिन्होंने उनकी पहचान को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया। वर्तमान में, पीएम मोदी ने अपने 11 साल के कार्यकाल में उपाध्याय के विचारों को अपने निर्णयों के माध्यम से दर्शाया है।
जनसंघ की विचारधारा का प्रसार
पीएम मोदी, जो संघ के पूर्णकालिक प्रचारक रह चुके हैं, ने चार दशकों से अधिक समय तक सार्वजनिक जीवन में सक्रियता दिखाई है। उन्होंने कई प्रमुख नेताओं से मुलाकात की, जिनका निर्माण उपाध्याय ने किया था। 1951 में, उपाध्याय ने संघ से जनसंघ में प्रवेश किया, ताकि श्यामा प्रसाद मुखर्जी का समर्थन कर सकें। इसके बाद, उन्होंने अगले 15 वर्षों में जनसंघ की विचारधारा को पूरे देश में फैलाने का कार्य किया।
पीएम मोदी का संवैधानिक सफर
पीएम मोदी ने संघ के प्रचारक के रूप में शुरुआत की और विभिन्न पदों पर कार्य किया। वे पिछले 25 वर्षों से संवैधानिक पद पर हैं, जो उनकी कार्यकुशलता को दर्शाता है। मोदी ने गुजरात से लेकर पूरे भारत के मतदाताओं पर अपनी छाप छोड़ी है, और उनके निर्णयों ने यह साबित किया है कि क्यों जनता उन्हें बार-बार चुनती है।
दीनदयाल के विचारों का प्रभाव
पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, जो दीनदयाल उपाध्याय के राजनीतिक शिष्य थे, पहले गैर-कांग्रेसी पीएम थे जिन्होंने पूरे पांच साल शासन किया। इसके बाद, नरेंद्र मोदी दूसरे पीएम हैं जिन्होंने दो बार अपने पांच साल पूरे किए हैं। पीएम मोदी की नीतियों में दीनदयाल के एकात्म मानववाद की झलक स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। अटल बिहारी वाजपेयी ने भी अपने शासन में दीनदयाल के विचारों को अपनाया, जिसमें परमाणु परीक्षण और सर्व शिक्षा अभियान शामिल थे।