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देव दीपावली 2025 की तैयारियों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की समीक्षा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देव दीपावली 2025 की तैयारियों की समीक्षा की, जिसमें घाटों की सजावट, सुरक्षा प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया गया। उन्होंने निर्देश दिया कि आयोजन को 'क्लीन काशी, ग्रीन काशी, डिवाइन काशी' के भाव को साकार करना चाहिए। बैठक में गंगा महोत्सव और दीपोत्सव की योजनाओं पर चर्चा की गई, जिसमें स्थानीय कलाकारों की सहभागिता और सुरक्षा उपायों पर जोर दिया गया।
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देव दीपावली 2025 की तैयारियों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की समीक्षा

मुख्यमंत्री की बैठक में देव दीपावली की योजनाएं

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण बैठक में 05 नवम्बर को वाराणसी में होने वाली देव दीपावली 2025 की तैयारियों की गहन समीक्षा की। उन्होंने कहा कि देव दीपावली काशी की प्राचीन परंपरा, गंगा की पूजा और लोक आस्था का अनूठा संगम है। यह पर्व भारत की उस अनादि परंपरा का प्रतीक है, जहाँ दीप केवल प्रकाश नहीं, बल्कि धर्म, कर्तव्य और राष्ट्रीय भावना का प्रतीक हैं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि इस आयोजन को इस प्रकार से आयोजित किया जाए कि यह भारत की सांस्कृतिक आत्मा और आध्यात्मिक चेतना का वैश्विक संदेश बने।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देव दीपावली से पहले गंगा महोत्सव (01 से 04 नवम्बर) और मुख्य आयोजन की सभी तैयारियां समय पर, व्यवस्थित और उच्च गुणवत्ता की होनी चाहिए। घाटों की सजावट, दीपदान, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और जनसहभागिता की तैयारियों में श्रद्धा, अनुशासन और सौंदर्य का संतुलन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि गंगा तट पर दीपदान का दृश्य श्रद्धा और अनुशासन का उदाहरण बने। इसके लिए घाटों पर भीड़ नियंत्रण, सुरक्षा, स्वच्छता और यातायात प्रबंधन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सभी विभागों को आपसी समन्वय से कार्य करना होगा ताकि कोई अव्यवस्था न हो।

मुख्यमंत्री ने पर्यटन, नगर निगम, पुलिस, जल पुलिस, संस्कृति, सिंचाई, पीडब्ल्यूडी, विद्युत और स्वास्थ्य विभागों को विशेष निर्देश दिए कि वे अपनी जिम्मेदारियों के अनुसार आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि देव दीपावली के अवसर पर घाटों पर स्मार्ट लाइटिंग, आकर्षक फूलों की सजावट, थीम-आधारित इंस्टॉलेशन और ड्रोन तथा सीसीटीवी निगरानी की व्यवस्था की जाए। इसके अलावा, घाटों, गलियों और प्रमुख मार्गों की सफाई और सजावट पर विशेष ध्यान दिया जाए और प्रत्येक घाट पर पर्याप्त सफाई कर्मी तैनात रहें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नियंत्रण कक्ष 24×7 सक्रिय रहना चाहिए और कमांड सेंटर से सीसीटीवी फीड की निरंतर निगरानी की जानी चाहिए। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पर्याप्त शौचालय, पेयजल व्यवस्था, चिकित्सा सहायता और प्राथमिक उपचार केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए। घाटों के पास आपातकालीन नौका और एम्बुलेंस सेवाएं उपलब्ध रहनी चाहिए। नाविकों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए उन्हें लाइफ जैकेट, पंजीकरण टैग और निर्धारित रूट की जानकारी दी जानी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने नमो घाट, राजघाट, राजेन्द्र प्रसाद घाट, दशाश्वमेध घाट सहित सभी प्रमुख घाटों पर दीपोत्सव की तैयारियों की भी समीक्षा की और कहा कि वहाँ दीप सज्जा, पर्यटक सुविधाएं और सुरक्षा उपाय उच्च स्तर पर किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि नाविक समुदाय काशी की परंपरा का अभिन्न हिस्सा है, उनका उत्साह और योगदान देव दीपावली की गरिमा को और बढ़ाता है। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्हें पर्याप्त सहयोग मिले और श्रद्धालुओं को सुरक्षित नौका सेवाएं प्राप्त हों।

बैठक में बताया गया कि चेत सिंह घाट पर 25 मिनट की प्रोजेक्शन सहित प्रतिदिन 03 बार लेज़र शो का आयोजन किया जाएगा। इसी तरह, काशी विश्वनाथ घाट और चेत सिंह घाट के बीच रेत की सैंड आर्ट इंस्टॉलेशन लगाई जाएगी। ग्रीन आतिशबाजी, लेज़र शो और संगीत कार्यक्रम के साथ काशी विश्वनाथ धाम घाट के सामने 10 मिनट का ग्रीन फायरक्रैकर शो आयोजित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देव दीपावली का आयोजन ‘क्लीन काशी, ग्रीन काशी, डिवाइन काशी’ के भाव को साकार करने वाला होना चाहिए। घाटों से लेकर गलियों तक स्वच्छता, सुगमता और प्रकाश व्यवस्था बनी रहनी चाहिए। उन्होंने यातायात प्रबंधन, पार्किंग, बैरिकेडिंग, शटल सेवाओं, विद्युत आपूर्ति और चिकित्सा सेवाओं पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए ताकि किसी भी क्षेत्र में जाम या अव्यवस्था न हो। उन्होंने कहा कि गंगा तटों पर आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में स्थानीय कलाकारों, विद्यालयों, स्वयंसेवी संस्थाओं, महिला समूहों और धर्माचार्यों की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित की जाए। यह आयोजन जनसहयोग, सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बने।

मुख्यमंत्री ने कहा कि काशी का यह पर्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आस्था, अनुशासन और आत्मबल का उत्सव है। काशी आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक यहाँ की पावनता, व्यवस्था और अनुशासन देखकर ‘अतिथि देवो भवः’ की भारतीय परंपरा का अनुभव करें।