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नए उपकरण से भ्रूण की कोशिकाओं का ट्रैकिंग संभव

ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक विकसित की है, जो भ्रूण के विकास के दौरान कोशिकाओं की ट्रैकिंग की अनुमति देती है। इस खोज से जन्म से जुड़ी बीमारियों के कारणों की पहचान में मदद मिलेगी और नए उपचार विकल्पों की खोज में सहायक होगी। लॉक्सकोड तकनीक के माध्यम से वैज्ञानिक अब हर कोशिका को एक विशेष डीएनए बारकोड प्रदान कर सकते हैं, जिससे उनकी गतिविधियों का पता लगाया जा सकता है। यह तकनीक वैश्विक स्तर पर अपनाई जा चुकी है और इसके कई उपयोग हैं।
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नए उपकरण से भ्रूण की कोशिकाओं का ट्रैकिंग संभव

ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों की नई खोज

नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने एक अभिनव उपकरण विकसित किया है, जो भ्रूण के विकास के दौरान एक-एक कोशिका की निगरानी करने की क्षमता प्रदान करता है।


यह खोज वैज्ञानिकों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है, क्योंकि इससे भ्रूण के विकास को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। यह जन्म से जुड़ी बीमारियों के कारणों की पहचान में सहायक हो सकता है और भविष्य में उपचार के नए विकल्पों की खोज में योगदान देगा।


एक समाचार स्रोत के अनुसार, इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने 'लॉक्सकोड' नामक एक नई तकनीक का उपयोग किया है। यह तकनीक आनुवंशिक रूप से संशोधित चूहों की प्रत्येक कोशिका को एक विशेष डीएनए बारकोड प्रदान करती है।


मेलबर्न स्थित वाल्टर और एलिजा हॉल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च की टीम ने बताया कि इस डीएनए बारकोड की सहायता से वैज्ञानिक यह जान सकते हैं कि एक कोशिका कितनी बार विभाजित हुई, वह शरीर के किस हिस्से में गई, और वह किस विशेष अंग या कार्य के लिए परिवर्तित हुई।


लॉक्सकोड तकनीक लगभग 30 बिलियन विभिन्न डीएनए बारकोड बनाने में सक्षम है, जो कि अब तक की किसी भी तकनीक से कहीं अधिक है।


वैज्ञानिकों ने बताया कि लॉक्सकोड तकनीक को वैश्विक स्तर पर अपनाया जा चुका है। इसका उपयोग मस्तिष्क के विकास, इम्यून सिस्टम पर अनुसंधान, और अंगों के अध्ययन में किया जा रहा है।


शोध में यह भी पाया गया कि गर्भधारण के कुछ दिनों बाद, कुछ कोशिकाएं पहले से ही यह तय कर लेती हैं कि वे मस्तिष्क, रक्त या किसी विशेष अंग का हिस्सा बनेंगी, जबकि अन्य कोशिकाएं किसी भी अंग में परिवर्तित हो सकती हैं।


डब्ल्यूईएचआई लैब के प्रमुख और मुख्य शोधकर्ता प्रोफेसर शालिन नाइक ने कहा, "जब जीवन की शुरुआत होती है और भ्रूण कुछ कोशिकाओं का एक छोटा-सा गोला होता है, तब हमने देखा कि कुछ कोशिकाएं ऐसी होती हैं जो पूरे शरीर के किसी भी अंग में बदल सकती हैं, जबकि कुछ कोशिकाएं पहले से ही तय कर चुकी होती हैं कि वे दिमाग, आंत, हाथ-पैर या खून का हिस्सा बनेंगी।"


प्रोफेसर नाइक ने आगे कहा, "मुझे सबसे अधिक खुशी इस बात से है कि लॉक्सकोड तकनीक के कारण अनुसंधान के नए रास्ते खुल गए हैं। दुनिया भर के वैज्ञानिक इसका उपयोग कर रहे हैं, और यह तकनीक हमारे शरीर को गहराई से समझने में मदद कर रही है।"