नरेंद्र मोदी सरकार का 'फीलगुड फैक्टर': बिहार चुनाव में चुनौती

भाजपा का 'फीलगुड' नारा
2004 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा ने 'फीलगुड' और 'शाइनिंग इंडिया' के नारों के साथ लोकसभा चुनाव लड़ा था। उस समय भारत की चमकती तस्वीर पेश की गई थी, लेकिन चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। यह स्पष्ट हुआ कि ये नारें लोगों की वास्तविकता से मेल नहीं खा रहे थे। हालांकि, अब जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, तो पाते हैं कि उस समय की नींव पर आज कई सकारात्मक बदलाव हुए हैं, जैसे सड़कों का विकास। फिर भी, उस समय 'फीलगुड' का नारा सफल नहीं हो सका।
नरेंद्र मोदी का नया दृष्टिकोण
20 साल बाद, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार एक बार फिर 'फीलगुड फैक्टर' बनाने की कोशिश कर रही है। सरकार का उद्देश्य लोगों को बेहतर जीवन का अहसास कराना है, और 2047 तक भारत को विकसित बनाने का वादा किया गया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि बिहार विधानसभा चुनाव और अन्य राज्यों में यह नैरेटिव कितना सफल होता है।
जीएसटी सुधारों का प्रभाव
सरकार द्वारा उठाए गए कदमों में जीएसटी सुधार शामिल हैं, जो लोगों को राहत देने का प्रयास कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने लाल किले से अपने भाषण में दिवाली पर 'डबल दिवाली' मनाने की बात कही थी, जिसके बाद जीएसटी दरों में बदलाव का निर्णय लिया गया। 12 और 28 फीसदी के स्लैब खत्म कर दिए गए हैं, जिससे कई वस्तुओं की कीमतों में कमी आएगी।
आर्थिक सुधारों का असर
जीएसटी में कटौती और बीमा प्रीमियम पर टैक्स में कमी जैसे फैसले लोगों को राहत देने में सहायक होंगे। इसके अलावा, सरकार ने कर मुक्त आय की सीमा बढ़ाकर 12 लाख रुपए कर दी है, जो नौकरी पेशा लोगों के लिए बड़ा लाभ है। यह सुधार निश्चित रूप से आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाएगा और सकारात्मक धारणा का निर्माण करेगा।
बिहार में चुनावी रणनीति
भाजपा को इन सुधारों का लाभ बिहार में राजनीतिक रूप से उठाना है। नीतीश कुमार की सरकार ने पहली बार मुफ्त सुविधाओं का अनुभव कराया है, जैसे कि 125 यूनिट बिजली मुफ्त। इसके अलावा, सामाजिक सुरक्षा पेंशन में वृद्धि और महिलाओं को नकद सहायता देने की योजना भी बनाई गई है। यह सब मिलकर बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए एक मजबूत 'फीलगुड' माहौल तैयार कर रहा है।