नालंदा विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन

योग दिवस की विशेषता
राजगीर। बिहार स्थित नालंदा विश्वविद्यालय में 11वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस "एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य" की वैश्विक थीम के साथ मनाया गया। इस दिन की शुरुआत विश्वविद्यालय के विशेष योग केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योग दिवस संबोधन के सीधा प्रसारण से हुई। इसके बाद, भारत और अन्य देशों से आए छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों ने सामूहिक योग सत्र में भाग लिया।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम मानव कल्याण और पृथ्वी के स्वास्थ्य के बीच संबंध को उजागर करती है, जो नालंदा विश्वविद्यालय की प्राचीन परंपरा और सतत शैक्षणिक दृष्टिकोण के अनुरूप है। इस अवसर पर नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि योग भारत की प्राचीन और समृद्ध परंपरा है, जो विभिन्न सभ्यताओं तक फैली है।
यह केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक अभ्यास नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक अनुशासन भी है, जो विभिन्न समाजों में शांति और समरसता को बढ़ावा दे सकता है। इसी दृष्टिकोण से, विश्वविद्यालय ने इस वर्ष से योग को अपने नियमित शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है।
योग सत्र के बाद, विश्वविद्यालय परिसर में वृक्षारोपण अभियान का आयोजन किया गया। कुलपति के नेतृत्व में, विश्वविद्यालय परिवार के सभी सदस्यों ने पौधारोपण कर प्रकृति और भविष्य की पीढ़ियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का एहसास कराया। योग दिवस के अवसर पर, विश्वविद्यालय में एक दो दिवसीय विशेष योग कार्यशाला का आयोजन भी किया गया, जिसे भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, पटना और बिहार स्कूल ऑफ योग, मुंगेर के सहयोग से आयोजित किया गया।
योगाचार्य योगेश द्वारा संचालित इस सत्र में प्राणायाम, योग निद्रा, मंत्रोच्चारण, आसन और राजयोग जैसे विभिन्न आयामों को शामिल किया गया। वक्ताओं ने कहा कि नालंदा का इतिहास ज्ञान और साधना का अद्भुत संगम रहा है, जहां योग की आध्यात्मिक साधना ने बौद्धिक विमर्श को दिशा दी।
आज जब पूरी दुनिया समग्र स्वास्थ्य और संतुलन की कल्पना कर रही है, ऐसे समय में नालंदा की आत्मा इस विरासत को पुनर्स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है, और आने वाले वर्षों में योग को अकादमिक और पारिस्थितिक विमर्श का अभिन्न हिस्सा बनाए रखने के लिए दृढ़ संकल्पित है।