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निठारी कांड में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, सीबीआई की अपीलें खारिज

निठारी कांड से जुड़ी एक महत्वपूर्ण कानूनी अपडेट में, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की अपीलों को खारिज कर दिया है, जिससे इस मामले का कानूनी अध्याय समाप्त होने की संभावना बढ़ गई है। उच्च न्यायालय ने सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को बरी कर दिया था, जबकि रिम्पा हलधर हत्याकांड में कोली की मौत की सजा बरकरार है। जानें इस मामले में अदालत के फैसले और बचाव पक्ष के तर्कों के बारे में।
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निठारी कांड में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, सीबीआई की अपीलें खारिज

निठारी कांड का कानूनी अपडेट

Nithari Case: नोएडा के निठारी कांड से संबंधित एक महत्वपूर्ण कानूनी विकास सामने आया है। सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई की अपीलों को अस्वीकार कर दिया है, जिससे केंद्रीय जांच एजेंसी को एक बड़ा झटका लगा है। इस निर्णय के बाद यह माना जा रहा है कि निठारी कांड का कानूनी अध्याय लगभग समाप्त हो चुका है।


सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन की पीठ ने सीबीआई की अपीलों को खारिज करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा। उच्च न्यायालय ने सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को सभी मामलों में बरी कर दिया था।


उच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला

16 अक्टूबर, 2023 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दोनों दोषियों को कई मामलों में बरी कर दिया था। इसने सुरेंद्र कोली को 12 मामलों में और मनिंदर सिंह पंढेर को दो मामलों में सुनाई गई मौत की सजा को रद्द कर दिया। यह निर्णय गाजियाबाद की सीबीआई अदालत के उस फैसले को पलटते हुए सुनाया गया, जिसमें निठारी कांड में दोनों को दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई गई थी।


बचाव पक्ष का तर्क

सुप्रीम कोर्ट की वकील मनीषा भंडारी ने सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर की ओर से अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इस मामले में न तो कोई प्रत्यक्षदर्शी गवाह है और न ही कोई ठोस वैज्ञानिक साक्ष्य जो मौत की सजा को उचित ठहरा सके। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि पर्याप्त सबूतों के बिना मौत की सजा देना न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध है।


एक मामला अभी भी बरकरार

हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि रिम्पा हलधर हत्याकांड में सुरेंद्र कोली की मौत की सजा अभी भी बरकरार है। इस विशेष मामले में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने मौत की सजा को उचित ठहराया है। इसके अलावा, एक अन्य मामले में देरी के आधार पर सुरेंद्र कोली की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया है।