नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर: अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान
नीतीश कुमार और अटल बिहारी वाजपेयी का संबंध
नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जिसमें अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान अविस्मरणीय है। वर्तमान में जदयू पार्टी में “2025 फिर से नीतीश” का नारा गूंज रहा है, लेकिन यह याद रखना आवश्यक है कि नीतीश कुमार को पहली बार मुख्यमंत्री बनाने में अटल बिहारी वाजपेयी की भूमिका महत्वपूर्ण थी।नीतीश कुमार ने 2000 में पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन वह केवल सात दिन तक इस पद पर रह सके। कहा जाता है कि उस समय अटल बिहारी वाजपेयी ने ही नीतीश को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा था। इसके बाद, 2005 में जब एनडीए को बिहार में बहुमत मिला, तब भी अटल जी का आशीर्वाद नीतीश के साथ था, और इसी वर्ष उनकी दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने की शुरुआत हुई।
नीतीश कुमार ने स्वीकार किया है कि उन्होंने दो बार एनडीए को छोड़कर राजद के साथ गठबंधन किया, जो उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक गलती थी। उन्होंने स्पष्ट किया है कि भविष्य में वह एनडीए का साथ नहीं छोड़ेंगे। यह उनकी राजनीतिक स्थिरता का प्रतीक है।
अटल बिहारी वाजपेयी का बिहार से गहरा संबंध था। वे न केवल नेताओं के बीच, बल्कि आम जनता में भी बेहद लोकप्रिय थे। उनके प्रसिद्ध शब्द “आप बिहार के हैं, मैं बिहारी हूँ” ने उनके इस जुड़ाव को दर्शाया। इस भावना ने भाजपा को बिहार में मजबूती प्रदान की।
16 अगस्त को अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना के पाटलिपुत्रा पार्क में उनकी आदमकद मूर्ति पर श्रद्धांजलि अर्पित की। यह प्रतिमा 2024 में नीतीश कुमार द्वारा स्थापित की गई थी, जो अटल जी के प्रति सम्मान और उनके योगदान का प्रतीक है।
2025 के बिहार विधानसभा चुनाव के लिए, नीतीश कुमार को एनडीए द्वारा मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया गया है। उनका नेतृत्व आगामी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, और उनके राजनीतिक सफर की ताकत और अटल बिहारी वाजपेयी के आशीर्वाद की छाया अभी भी स्पष्ट है।