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नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल: भारत की प्रतिक्रिया और पड़ोसी देशों की स्थिति

नेपाल में हालिया राजनीतिक संकट ने भारत की कूटनीतिक नीति को फिर से परिभाषित किया है। प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी के बाद, प्रधानमंत्री ओली ने इस्तीफा दे दिया। इस लेख में, हम नेपाल के हालात, श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान और म्यांमार में चल रहे संकटों पर चर्चा करेंगे। जानें कैसे भारत ने इन घटनाओं पर प्रतिक्रिया दी है और क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाए हैं।
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नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल: भारत की प्रतिक्रिया और पड़ोसी देशों की स्थिति

नेपाल में हालात की गंभीरता

2021 में म्यांमार, 2022 में पाकिस्तान और श्रीलंका, 2024 में बांग्लादेश और अब नेपाल। हाल के वर्षों में भारत के पड़ोसी देशों में लगातार आर्थिक और राजनीतिक संकट देखने को मिले हैं। भारत ने इन घटनाओं के दौरान कूटनीतिक दृष्टिकोण अपनाया है, जिसमें मानवीय सहायता, विकास सहयोग, सीमा कूटनीति और हर पड़ोसी के संदर्भ में सतर्कता शामिल है। नेपाल में हालात के मद्देनजर, भारत ने भी इसी तरह की नीति अपनाई है। सोमवार को नेपाल में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें सुरक्षाकर्मियों द्वारा प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से कम से कम 19 लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हुए। जब स्थिति हिंसक हो गई, तो ओली ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने और नेपाल की अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी। 


नेपाल में क्या हो रहा है?

नेपाल में क्या हो रहा है? 

4 सितंबर को केपी शर्मा ओली की सरकार ने नए पंजीकरण और निगरानी संबंधी आदेशों का पालन न करने के कारण 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, रेडिट और एक्स को ब्लॉक कर दिया। केवल टिकटॉक और वाइबर जैसे प्लेटफॉर्म्स को चालू रहने की अनुमति दी गई। इस प्रतिबंध के बाद जेन जेड प्रदर्शनकारियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया। 8 सितंबर को पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी के बाद स्थिति गंभीर हो गई। कम से कम 17-19 लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए, जिनमें आम नागरिक और सुरक्षाकर्मी दोनों शामिल थे। प्रदर्शनकारियों ने वित्त मंत्री से लेकर पूर्व पीएम तक को सड़कों पर दौड़ाया और पार्टी दफ्तरों में आग लगा दी। अंततः, गुस्से को शांत करने के लिए ओली को इस्तीफा देना पड़ा। 


श्रीलंका में राजपक्षे परिवार के खिलाफ विरोध

श्रीलंक में राजपक्षे परिवार के खिलाफ विरोध

2022 के आर्थिक संकट के बाद, राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षा देश छोड़कर भाग गए। 23 सितंबर 2024 को अनुरा कुमार दिसानायके राष्ट्रपति बने। अनुरा सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और 5 पूर्व मंत्रियों को जेल की सजा सुनाई गई। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था अभी भी संकट में है, और लोग महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी का सामना कर रहे हैं।


बांग्लादेश में छात्रों का आंदोलन

बांग्लादेश में छात्रों ने हसीना को सत्ता से बेदखल किया

अगस्त 2024 में बांग्लादेश में हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद, नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया। 90 दिनों में चुनाव होना था, लेकिन वे पिछले 13 माह से पीएम बने हुए हैं। कई आंदोलनकारी छात्रों को अंतरिम सरकार में शामिल किया गया था। 8 प्रमुख छात्र नेताओं में से आधे से ज्यादा साइडलाइन हो गए हैं। सेना ही सत्ता चला रही है। भारत ने इस पर सतर्क प्रतिक्रिया दी है, नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है और तनाव कम करने के लिए बांग्लादेशी सैन्य नेताओं के साथ बातचीत की है।


पाकिस्तान में राजनीतिक स्थिति

पाकिस्तान में क्या हुआ?

अप्रैल 2022 में इमरान खान की सत्ता से विदाई के बाद, शहबाज शरीफ की गठबंधन सरकार बनी। लेकिन सरकार सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसीम मुनीर द्वारा नियंत्रित है। सरकार कई मोचों पर असंतोष का सामना कर रही है। बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वा में विद्रोहियों के हमले 70% बढ़ गए हैं। भारत ने विवेकपूर्ण और संयमित प्रतिक्रिया दी है, घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रखते हुए, लेकिन पाकिस्तान की आंतरिक राजनीतिक उथल-पुथल में हस्तक्षेप न करने का निर्णय लिया है।


म्यांमार में सैन्य शासन

म्यांमार में 2021 से सत्ता में सेना

फरवरी 2021 में म्यांमार की सेना ने सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया। स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्ट्रपति यू विन म्यिंट को हिरासत में लिया गया और एक साल के लिए आपातकाल की घोषणा की गई। देश भर में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। सैन्य शासन ने कर्फ्यू और सभाओं पर प्रतिबंध लगाया, जिसके परिणामस्वरूप सैकड़ों नागरिक मारे गए। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, अब तक 6,231 नागरिकों की जान जा चुकी है।