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नेपाल में सोशल मीडिया बैन वापस, पीएम ओली का यू-टर्न

नेपाल में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं, जिसके चलते सरकार ने सोशल मीडिया पर लगे बैन को वापस ले लिया है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पहले इस बैन को हटाने से इनकार किया था, लेकिन अब उन्होंने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ओली ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है और दुबई जाने की योजना भी बनाई है। जानें इस राजनीतिक उथल-पुथल के पीछे की वजहें और ओली का नया रुख क्या है।
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नेपाल में सोशल मीडिया बैन वापस, पीएम ओली का यू-टर्न

नेपाल में हालात बिगड़ते हैं

पिछले 24 घंटे नेपाल के लिए बेहद कठिन रहे। देश में हुए प्रदर्शनों के बाद सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध को अब हटा लिया गया है। सरकार ने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पहले कहा था कि वह किसी भी हाल में सोशल मीडिया पर लगे बैन को वापस नहीं लेंगे, यहां तक कि उन्होंने इस्तीफे की भी बात की थी। लेकिन जैसे-जैसे स्थिति बिगड़ती गई, उन्होंने अपने फैसले पर पुनर्विचार किया। ओली की सरकार ने अब प्रदर्शनकारियों से लौटने का अनुरोध किया है और तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाओं की जांच के आदेश दिए हैं। पीएम ओली ने कहा कि सरकार इस बैन के असली उद्देश्य में सफल नहीं रही।


प्रदर्शनकारियों की हिंसा

प्रधानमंत्री ओली ने आधी रात को एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारी सत्तारूढ़ पार्टी के नेता शेर बहादुर देउबा के आवास पर पहुंच गए और वहां कब्जा कर लिया। स्थिति तब और बिगड़ गई जब प्रदर्शनकारियों ने परिसर में कई वाहनों को आग लगा दी। रिपोर्टों के अनुसार, ओली ने देशभर में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के बीच आज शाम 6 बजे सर्वदलीय बैठक बुलाई है। उनके करीबी सूत्रों के अनुसार, ओली दुबई जाने की योजना बना रहे हैं और इसके लिए हिमालय एयरलाइंस को स्टैंडबाय पर रखा गया है।


क्या ओली दुबई भागने वाले हैं?

सरकार के प्रयासों और युवा पीढ़ी के बीच संवाद की कमी के कारण यह अप्रिय स्थिति उत्पन्न हुई है। ओली ने कहा कि सरकार सोशल मीडिया के उपयोग पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहती और इसके लिए अनुकूल वातावरण बनाने का संकल्प लिया है। उन्होंने विश्वास जताया कि युवा पीढ़ी अपनी मांगें शांतिपूर्ण तरीके से रखेगी। हालांकि, विभिन्न हित समूहों की घुसपैठ के कारण नागरिकों की मृत्यु जैसी दुखद घटनाएं हुई हैं। सरकार जेन-जी पीढ़ी की मांगों को सुनने के लिए तैयार है।