नेशनल कॉन्फ्रेंस ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा को चुनौती दी

राज्यसभा चुनाव की तैयारी
अब्दुल्ला पिता-पुत्र ने भाजपा और केंद्र सरकार के सामने झुकने के बजाय संघर्ष का रास्ता चुना है। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने राज्य की चारों राज्यसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का निर्णय लिया है। फारूक और उमर अब्दुल्ला को यह समझ है कि चौथी सीट जीतने के लिए भाजपा को हराना आवश्यक है। भाजपा ने भी सभी सीटों पर लड़ने का मन बना लिया है, लेकिन उसे यह पता है कि असली मुकाबला केवल एक सीट पर होगा। अन्य तीन सीटें स्वाभाविक रूप से सत्तारूढ़ दल को मिलेंगी। चुनाव की अधिसूचना इस प्रकार जारी की जाती है कि सत्तारूढ़ दल या गठबंधन को लाभ मिले। पहले दो सीटों की अधिसूचना अलग-अलग जारी की गई है, जबकि बाकी दो सीटों की अधिसूचना एक साथ जारी की गई है। इन सीटों को जीतने के लिए 30-30 वोट की आवश्यकता होगी। पहले ऐसा लग रहा था कि कोई टकराव नहीं होगा, लेकिन अब ऐसा नहीं है। इसलिए 24 अक्टूबर को राज्यसभा की चारों सीटों पर चुनाव होंगे।
कांग्रेस की चुप्पी
कांग्रेस ने चौथी सीट पर लड़ने की हिम्मत नहीं दिखाई, जो सबसे चौंकाने वाली बात रही। उमर अब्दुल्ला ने पहले तीन उम्मीदवारों की घोषणा की थी और चौथी सीट कांग्रेस के लिए छोड़ना चाहा था। लेकिन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष तारिक हमीद कारा ने कहा कि भाजपा के 28 विधायक हैं, इसलिए उनकी जीत की संभावना कम है। हार के डर से कांग्रेस ने चौथी सीट नहीं ली। कांग्रेस पहली या दूसरी सीट चाहती थी, जिसे वह नेशनल कॉन्फ्रेंस के वोट से जीत सकती थी। अब कांग्रेस के पास कोई ऐसा नेता नहीं है जो जोखिम लेकर सीट जीत सके। इस स्थिति में नेशनल कॉन्फ्रेंस को मजबूरन चौथी सीट पर उम्मीदवार उतारना पड़ा।
उम्मीदवारों की घोषणा
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पिछले हफ्ते चौधरी मोहम्मद रमजान, शम्मी ओबेरॉय और सज्जाद किचलू को उम्मीदवार घोषित किया था। अब उसने सोमवार को चौथे उम्मीदवार के रूप में इमरान नबी डार का नाम घोषित किया है। पार्टी ने क्षेत्रीय और जातीय संतुलन को ध्यान में रखा है। मोहम्मद रमजान कुपवाड़ा से हैं, जबकि सज्जाद किचलू किश्तवाड़ से हैं। ओबेरॉय पार्टी के कोषाध्यक्ष हैं और उनके माध्यम से मुस्लिम और पंजाबी, सिख समीकरण को साधा गया है। चौथे उम्मीदवार डार नेशनल कॉन्फ्रेंस की मीडिया टीम से जुड़े रहे हैं। उमर ने कहा कि यह सीट जीतने का सबसे अच्छा मौका कांग्रेस के लिए था, लेकिन वह तैयार नहीं हुई। अब उमर ने इस चुनाव को कश्मीरी पहचान से जोड़ दिया है।
भाजपा की रणनीति
उमर ने कहा कि भाजपा के 28 विधायक हैं और सीट जीतने के लिए 30 वोट की आवश्यकता है। यदि कश्मीर की पार्टियों के विधायक अपने वोट भाजपा को नहीं देते हैं, तो भाजपा जीत नहीं पाएगी। हालांकि, उमर इस बात से चिंतित हैं कि भाजपा ने सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जिसका मतलब है कि वह पैसे और ताकत के बल पर क्रॉस वोटिंग कराने का प्रयास करेगी। उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर विधानसभा में दो सीटें खाली हैं, जिन पर उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है। शेष 88 सीटों में से नेशनल कॉन्फ्रेंस की 41, भाजपा की 28 और कांग्रेस की छह सीटें हैं। इसके अलावा सीपीएम की एक, पीडीपी की तीन, आप की एक, एआईपी की एक, अन्य की एक और छह निर्दलीय हैं। चार निर्दलियों का समर्थन सरकार को प्राप्त है।