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नौ गजा पीर बाबा की दरगाह पर प्रशासन की कार्रवाई, अवैध कब्जा हटाया गया

पंचकूला-चंडीगढ़ सीमा पर स्थित नौ गजा पीर बाबा की दरगाह पर प्रशासन ने अवैध कब्जा हटाने के लिए कार्रवाई की है। इस दरगाह को हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता है, जहाँ श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी होने पर घड़ियाँ चढ़ाते हैं। जानें इस दरगाह की विशेषताएँ और प्रशासनिक कार्रवाई के पीछे की कहानी।
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नौ गजा पीर बाबा की दरगाह पर प्रशासन की कार्रवाई, अवैध कब्जा हटाया गया

दरगाह की स्थिति और प्रशासनिक कार्रवाई


  • दरगाह के पास ही भगवान शिव का मंदिर है, जो इस जगह को बनाता है सांप्रदायिक एकता का प्रतीक


Nau Gaja Peer, चंडीगढ़ : पंचकूला-चंडीगढ़ सीमा पर स्थित नौ गजा पीर बाबा की दरगाह पर प्रशासन ने पीला पंजा चलाया। जानकारी के अनुसार, यह दरगाह 9 मरले के क्षेत्र में अवैध सरकारी भूमि पर बनी थी, जिसे ध्वस्त किया गया। प्रशासन ने बताया कि कुल 15 मरले में से 9 मरले अवैध कब्जे के तहत थे, जिन्हें हटाया गया है।


अवैध कब्जे के खिलाफ कार्रवाई

यह कार्रवाई पीएमडीए विभाग द्वारा की गई है। पंचकूला कोर्ट में अवैध कब्जे को लेकर मामला चल रहा था, जिसमें प्रशासन को हार का सामना करना पड़ा। इस कारण 9 मरले का अवैध कब्जा हटाया गया है। इस दौरान टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, हॉर्टिकल्चर विभाग, बिजली विभाग और पंचकूला पुलिस भी मौके पर मौजूद रही।


नौ गजा पीर की विशेषताएँ

नौ गजा पीर एक प्रसिद्ध दरगाह है, जो हरियाणा और पंजाब की सीमा पर, नेशनल हाईवे 1 पर स्थित है। इसे 'घड़ी वाले बाबा' के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि श्रद्धालु यहाँ घड़ियाँ चढ़ाते हैं। यह स्थान हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है, जहाँ एक ही स्थान पर पीर की मज़ार और शिव मंदिर मौजूद हैं।


श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी होने पर यहाँ घड़ियाँ चढ़ाते हैं, जिससे उनकी यात्रा सुरक्षित और समय पर पूरी होती है। दरगाह की देखरेख रेडक्रॉस द्वारा की जाती है, और यहाँ चढ़ाई गई घड़ियों की बिक्री से प्राप्त आय से दरगाह का रखरखाव किया जाता है। यह स्थान अम्बाला-दिल्ली नेशनल हाईवे पर है और हरियाणा सरकार द्वारा इसे पर्यटन स्थल का दर्जा दिया गया है।