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पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की अस्पताल में भर्ती: राजनीतिक साजिश या स्वास्थ्य समस्या?

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की हालिया अस्पताल में भर्ती ने राजनीतिक हलकों में चर्चाएँ शुरू कर दी हैं। कुछ लोग इसे स्वास्थ्य समस्या मानते हैं, जबकि अन्य इसे राजनीतिक रणनीति के रूप में देख रहे हैं। मान ने जानबूझकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से पहले अस्पताल में भर्ती होना चुना, जिससे उनकी प्रधानमंत्री से दूरी बनी रहे। इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के दौरान बाढ़ पीड़ितों की अनुपस्थिति ने स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। जानें इस मामले में क्या है सच्चाई और क्या है राजनीतिक खेल।
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पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की अस्पताल में भर्ती: राजनीतिक साजिश या स्वास्थ्य समस्या?

मुख्यमंत्री की स्वास्थ्य स्थिति

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान हाल ही में अस्पताल में भर्ती हुए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, उनका पल्स रेट काफी कम हो गया था। हालांकि, कुछ राजनीतिक विश्लेषक इस स्थिति को स्वास्थ्य समस्या से अधिक राजनीतिक रणनीति मान रहे हैं। उन्होंने आठ सितंबर को अस्पताल में कैबिनेट की बैठक बुलाई थी, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पंजाब दौरा नौ सितंबर को निर्धारित था। इस समय को ध्यान में रखते हुए, यह कहा जा रहा है कि मान ने जानबूझकर इस समय अस्पताल में भर्ती होना चुना, ताकि वे प्रधानमंत्री से दूरी बना सकें। यह कोई नई बात नहीं है, क्योंकि पहले भी मान प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों में शामिल नहीं हुए हैं।


केंद्रीय गृह मंत्री का दौरा और राजनीतिक समीकरण

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पंजाब का दौरा किया, जिसके दौरान एक वीडियो वायरल हुआ है। इस वीडियो में वे कुछ लोगों को बुलाने की बात कर रहे हैं, यह दर्शाते हुए कि बाढ़ पीड़ित उनसे मिलने नहीं आए। हालांकि, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि भगवंत मान प्रधानमंत्री से मिलने से इसलिए बच रहे थे क्योंकि उन्हें लगता था कि पंजाब के किसानों में भाजपा और केंद्र सरकार के प्रति नाराजगी है। यदि वे प्रधानमंत्री से मिलते, तो इसका नकारात्मक प्रभाव उन पर भी पड़ सकता था। इसके विपरीत, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद सिंह सुक्खू ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और उनके राज्य के लिए डेढ़ हजार करोड़ की राहत राशि की घोषणा हुई। पंजाब, जो कि एक बड़ा राज्य है और जहां सभी 23 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं, को केवल 1600 करोड़ की सहायता दी गई।