पंजाब में आम आदमी पार्टी की राजनीतिक रणनीतियाँ और दिल्ली के प्रति भावनाएँ
आम आदमी पार्टी की नई नियुक्तियाँ
पंजाब में आम आदमी पार्टी ने हाल ही में संगठन को मजबूत करने और प्रशासनिक स्तर पर सक्रियता बढ़ाने के लिए कई नेताओं और कार्यकर्ताओं की नियुक्तियाँ की हैं। इन नियुक्तियों के साथ कुछ राजनीतिक नियुक्तियाँ भी की गई हैं। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय नेता लुधियाना में होने वाले उपचुनाव को लेकर सक्रिय हैं, उनका लक्ष्य 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों में पुनः सत्ता में आना है।
पंजाब में सत्ता की पुनः प्राप्ति का महत्व
दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद, पंजाब में आम आदमी पार्टी का पुनः सत्ता में आना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि पार्टी 2027 के विधानसभा चुनाव में बहुमत प्राप्त करने में सफल होती है, तो इसे राजनीतिक पुनर्जन्म माना जाएगा। इस महत्व को समझते हुए, दिल्ली के वरिष्ठ नेता पंजाब की 'आप' यूनिट की मदद में जुटे हैं। हालांकि, दिल्ली नेताओं की बढ़ती सक्रियता के खिलाफ पार्टी में कुछ आवाजें उठ रही हैं, जिनका नेतृत्व पटियाला के बागी नेता कर रहे हैं।
दिल्ली के प्रति पंजाबियों की भावनाएँ
बागी नेता दिल्ली के नेताओं को 'दिल्ली वाले' कहकर संबोधित करते हैं, जो कि किसान आंदोलन के समय की याद दिलाता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, पंजाबियों ने हमेशा दिल्ली को एक नकारात्मक छवि में देखा है। 1947 से पहले भी, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, आंदोलनकारियों ने अंग्रेजी हकूमत को 'दिल्ली हकूमत' कहा था।
इतिहास की परछाई
1839 में महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद, 1849 में सिख फौज ने अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। इस दौरान, सिख फौज दो हिस्सों में बंट गई थी। एक हिस्सा अपनी विरासत की रक्षा कर रहा था, जबकि दूसरा हिस्सा अंग्रेजों के साथ मिलकर पंजाब पर हमलों में शामिल था। इस समय से पंजाबियों के दिलों में 'दिल्ली वाले' के प्रति नकारात्मक भावनाएँ विकसित हुईं।
वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य
भारत के विभाजन के बाद, पंजाबी भाषा के नाम पर प्रदेश की मांग या ऑपरेशन ब्लू स्टार जैसे मुद्दों के लिए भी 'दिल्ली वालों' को दोषी ठहराया जाता है। किसान आंदोलन से लेकर आम आदमी पार्टी की नियुक्तियों का विरोध भी 'दिल्ली वाले' कहकर किया जा रहा है। यह राजनीतिक विरोध होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा।
दिल्ली का सम्मान
दिल्ली अब स्वतंत्र भारत की राजधानी है, और इसे खलनायक के रूप में पेश करना उचित नहीं है। पंजाबियों को चाहिए कि वे दिल्ली के मान-सम्मान को समझें और इसे अपनी भावी पीढ़ी के सामने एक सकारात्मक छवि के रूप में प्रस्तुत करें।
निष्कर्ष
दिल्ली देश की राजधानी है, और इसका सम्मान होना चाहिए। राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन हमें एक-दूसरे के प्रति नकारात्मक भावनाएँ नहीं रखनी चाहिए।
मुख्य संपादक का संदेश
-इरविन खन्ना, मुख्य संपादक