पंजाब में जल संकट से निपटने के लिए नई जल योजना का ऐलान

पंजाब सरकार की ऐतिहासिक जल योजना
पंजाब सरकार ने राज्य में जल संकट के समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पहली बार, एकीकृत प्रांतीय जल योजना को लागू किया जा रहा है, जिसमें 14 बिंदुओं पर आधारित कार्य योजना को मंजूरी दी गई है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में तैयार की गई इस योजना का उद्देश्य भूजल स्तर में सुधार, सतही जल का प्रभावी उपयोग और आधुनिक सिंचाई तकनीकों को बढ़ावा देना है। इसमें जल पुनर्जनन, फसलों की विविधता और बाढ़ नियंत्रण जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया गया है। राज्य के 115 ब्लॉकों में भूजल की अत्यधिक निकासी से चिंताएं बढ़ी हैं, और यह योजना टिकाऊ जल प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। यह पहल न केवल किसानों को राहत प्रदान करेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी मजबूत करेगी.
भूजल संकट की गंभीरता और सरकार की रणनीति
मुख्यमंत्री ने जल संसाधन विभाग की उच्चस्तरीय बैठक में बताया कि राज्य के 153 में से 115 ब्लॉक गंभीर भूजल संकट का सामना कर रहे हैं। हर साल 5.2 बिलियन क्यूबिक मीटर भूजल निकाला जा रहा है, जिससे जल स्तर औसतन 0.7 मीटर गिर रहा है। इस गिरावट को रोकने के लिए सतही जल के उपयोग, सिंचाई तकनीकों में सुधार और कृत्रिम पुनर्जनन जैसे उपायों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। सरकार ने 30-40 वर्षों से बंद पड़े लगभग 63,000 किलोमीटर नहरों और 79 नहर लाइनों को फिर से चालू किया है। अब पाइपलाइन आधारित सिंचाई पर जोर दिया जा रहा है, जिससे पानी की बर्बादी को रोका जा सकेगा और टेल एरिया तक पानी पहुंच सकेगा। नई योजना का मुख्य उद्देश्य फील्ड तक सतही जल पहुंचाना है, ताकि भूजल पर निर्भरता कम हो सके.
तालाबों और नई तकनीकों का उपयोग
सरकार सतही जल को नहरों से सीधे तालाबों में भेजने की योजना बना रही है। वहां से लिफ्ट सिंचाई के माध्यम से पानी खेतों में पहुंचाया जाएगा। इसके लिए चेक डैम, नए तालाब, और जल उपयोगकर्ता संघों की मदद ली जाएगी। साथ ही, इन तालाबों का पानी टाइफा पौधों और नैनो बबल तकनीक से साफ किया जाएगा। कंडी और दक्षिण-पश्चिम पंजाब की भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए जल योजना को बेसिन आधारित क्षेत्रों में विभाजित किया जाएगा। बाढ़ नियंत्रण के लिए चेक डैम, बांस और वेटीवर घास का उपयोग किया जाएगा, साथ ही फ्लड प्लेन जोनिंग और मॉड्यूलर मैपिंग की जाएगी। सरकार का लक्ष्य है कि घग्गर नदी के बाढ़ जल को संरक्षित कर कृषि में उपयोग किया जाए.
सीएसआर फंड से जल प्रबंधन में निजी निवेश
कंपनियों से सीएसआर के तहत सिंचाई ढांचे में निवेश की उम्मीद की जा रही है। सोलर पंप, अंडरग्राउंड पाइपलाइन, और माइक्रो सिंचाई पर जोर दिया जाएगा। स्कूलों, मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से जल बचाने की मुहिम चलाई जाएगी। युवाओं और किसानों को जल जागरूकता में भागीदार बनाया जाएगा। धान और अधिक पानी लेने वाली फसलों की जगह मक्का, बासमती, कपास जैसी फसलों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके साथ ही, खेती में भूजल की मांग को कम करने और हर बूंद का सदुपयोग सुनिश्चित करने पर जोर रहेगा। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि पानी बचाना अब राज्य की सबसे बड़ी प्राथमिकता है.