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पंजाब में मानसून की मेहरबानी, भारी बारिश का अलर्ट जारी

पंजाब में मानसून पूरी तरह सक्रिय हो चुका है, जिससे राज्य में बारिश का सिलसिला जारी है। भारतीय मौसम विभाग ने भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है, जो किसानों के लिए राहत का संकेत है। पिछले 24 घंटों में फिरोजपुर में सबसे अधिक बारिश हुई है, जबकि बठिंडा में तापमान 39.6 डिग्री तक पहुंच गया है। इस बार मानसून 5 दिन पहले आया है, जिससे धान की फसल के लिए अच्छी बारिश की उम्मीद है। जानें और क्या कुछ खास है इस मौसम में।
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पंजाब में मानसून की मेहरबानी, भारी बारिश का अलर्ट जारी

बारिश का सिलसिला जारी


शनिवार से शुरू हुआ बारिश का सिलसिला आने वाले दिनों में भी रहेगा जारी


चंडीगढ़ से मिली जानकारी के अनुसार, पंजाब में मानसून अब पूरी तरह सक्रिय हो चुका है। पिछले कुछ दिनों से बारिश की कमी थी, लेकिन अब पूरे राज्य में बारिश का दौर शुरू हो गया है। शनिवार की दोपहर से शुरू हुई बारिश रविवार सुबह तक जारी रही।


भारतीय मौसम विभाग ने आगामी दिनों के लिए भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। इससे किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है, लेकिन नदियों और बांधों का जलस्तर भी बढ़ रहा है। यदि पहाड़ों और मैदानों में बारिश इसी तरह जारी रही, तो राज्य में बाढ़ का खतरा भी उत्पन्न हो सकता है।


फिरोजपुर में सबसे अधिक बारिश

पिछले 24 घंटों में फिरोजपुर में सबसे ज्यादा 54.5 मिमी बारिश हुई, जबकि मोगा में 32 मिमी और पठानकोट में 7 मिमी बारिश दर्ज की गई। कई अन्य जिलों में बादल छाए रहे, जिसके कारण राज्य के अधिकतम तापमान में 0.7 डिग्री की कमी आई है।


बठिंडा में तापमान 40 के करीब

मौसम विभाग के अनुसार, राज्य में सामान्य मौसम बना हुआ है। बठिंडा में अधिकतम तापमान 39.6 डिग्री, अमृतसर में 35.9 डिग्री, लुधियाना में 35.5 डिग्री, पटियाला में 35 डिग्री, गुरदासपुर में 34 डिग्री और फिरोजपुर में 36 डिग्री दर्ज किया गया।


पंजाब में मानसून समय से पहले

इस बार पंजाब में मानसून 5 दिन पहले पहुंचा है। जून महीने में सामान्य से 19 फीसदी अधिक बारिश हुई है। 29 जून तक राज्य में 54.9 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य 46.2 मिमी से 19 फीसदी अधिक है। यदि मानसून की स्थिति इसी तरह बनी रही, तो यह राज्य के लिए राहत का कारण बनेगा।


धान की फसल के लिए आवश्यक बारिश

पंजाब के किसान धान की खेती पर निर्भर हैं, और इसके लिए अच्छी बारिश बहुत जरूरी है। यदि मानसून के दौरान पर्याप्त बारिश होती है, तो इससे किसानों की धान की फसल की पैदावार में वृद्धि होगी और भूमिगत जल का दोहन भी कम होगा, जो अक्सर धान सीजन में रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच जाता है।