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पटना में सनातन महाकुंभ: धीरेंद्र शास्त्री और स्वामी रामभद्राचार्य के बयान

पटना में आयोजित सनातन महाकुंभ में धीरेंद्र शास्त्री और स्वामी रामभद्राचार्य ने अपने विचार साझा किए। धीरेंद्र शास्त्री ने 'भगवा-ए-हिंद' का सपना देखा, जबकि स्वामी रामभद्राचार्य ने जाति के आधार पर जनगणना का विरोध किया। दोनों ने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस महाकुंभ में शामिल संतों ने धर्म और राष्ट्रवाद के मुद्दों पर भी चर्चा की। जानें इस महत्वपूर्ण आयोजन के बारे में और क्या कहा गया।
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पटना में सनातन महाकुंभ: धीरेंद्र शास्त्री और स्वामी रामभद्राचार्य के बयान

पटना में सनातन महाकुंभ का आयोजन

बिहार की राजधानी पटना में हाल ही में सनातन महाकुंभ का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर के प्रमुख संत, महात्मा, जगद्गुरु और महामंडलेश्वर शामिल हुए। इस महाकुंभ में बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री भी उपस्थित थे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि उनका एक ही सपना है, जो है 'भगवा-ए-हिंद'। उन्होंने यह भी कहा कि कई शक्तियाँ गजवा-ए-हिंद का सपना देख रही हैं और यदि हमारे धर्म पर कोई आक्रमण होगा, तो वे प्रतिघात करेंगे।


धीरेंद्र शास्त्री का बयान

धीरेंद्र शास्त्री ने स्पष्ट किया कि वे किसी धर्म के विरोधी नहीं हैं और मुसलमानों तथा ईसाइयों से कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि वे किसी एक राजनीतिक पार्टी के समर्थक नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत हमेशा एक हिंदू राष्ट्र रहेगा और जाति से ऊपर उठकर राष्ट्रवाद के लिए जीने की आवश्यकता है।


स्वामी रामभद्राचार्य का बयान

स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि जब वर्तमान सरकार नहीं थी, तब उनकी रामकथा के लिए अनुमति नहीं दी गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि अगले चुनाव के बाद वे गांधी मैदान में नौ दिन की कथा करने आएंगे। उन्होंने कहा कि भारत तब हिंदू राष्ट्र बनेगा जब हिंदुओं की संख्या 80 प्रतिशत होगी।


जाति के आधार पर जनगणना पर विचार

स्वामी रामभद्राचार्य ने जाति के आधार पर जनगणना का विरोध किया और कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक ओर जाति की बात न करने की बात की जाती है, जबकि दूसरी ओर जातीय जनगणना की बात होती है। उन्होंने कहा कि जब पाकिस्तान एक मुस्लिम राष्ट्र हो सकता है, तो भारत हिंदू राष्ट्र क्यों नहीं हो सकता?


बाबा बागेश्वर का बड़ा बयान

बाबा बागेश्वर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बिहार का कर्ज वे कभी नहीं उतार सकते, क्योंकि उनके दिव्य दरबार में 12 लाख लोग शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि बिहार ने उन्हें शिक्षा दी है और माता सीता को भी बिहार ने दिया है।