पटियाला हाउस कोर्ट ने चैतन्यानंद सरस्वती को जब्ती ज्ञापन की प्रतियां देने से किया इनकार

कोर्ट का निर्णय
नई दिल्ली। पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को चैतन्यानंद सरस्वती को जब्ती ज्ञापन की प्रतियां देने का निर्देश देने से मना कर दिया है। चैतन्यानंद ने छेड़छाड़ के मामले में न्यायिक हिरासत में रहते हुए जब्ती ज्ञापन की प्रतियां मांगी थीं। उनके खिलाफ वसंत कुंज उत्तर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अनिमेष कुमार ने बुधवार को जांच अधिकारी को यह निर्देश देने से इनकार कर दिया। अदालत ने जेल अधिकारियों को यह निर्देश दिया कि वे संन्यासी वस्त्र पहनने की अनुमति देने के अनुरोध पर विचार करें। चैतन्यानंद ने न्यायिक हिरासत में रहते हुए संन्यासी वस्त्र पहनने की अनुमति मांगी थी। हालांकि, अदालत ने चश्मा, किताबें और भोजन की मांग को स्वीकार कर लिया है।
पुलिस का विरोध
चैतन्यानंद सरस्वती की याचिकाओं का विरोध करते हुए, दिल्ली पुलिस ने कहा कि वह संन्यासी नहीं हैं। चैतन्यानंद के वकील मनीष गांधी ने इस दावे का विरोध किया और कहा कि यह समझ से परे है कि अपनी पसंद के कपड़े पहनने से जेल में कोई समस्या उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने बताया कि चैतन्यानंद को दीक्षा दी गई थी और उनका पूर्व नाम पार्थसारथी था, जिसे बदलकर चैतन्यानंद सरस्वती रखा गया। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि कपड़ों और किताबों पर कोई प्रतिबंध नहीं है, इसलिए मैं कैसे रोक लगा सकता हूं। आरोपी के वकील ने जेल मैनुअल का हवाला देते हुए कहा कि किसी विचाराधीन कैदी को अपनी पसंद के कपड़े पहनने पर कोई रोक नहीं होनी चाहिए।
जांच के दौरान दस्तावेजों का उपयोग
आरोपी के वकील ने दलील दी कि बीएनएसएस के प्रावधानों के अनुसार, जब्ती ज्ञापन देने पर कोई रोक नहीं होनी चाहिए। उन्होंने यह भी चिंता व्यक्त की कि जांच के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों का उपयोग अन्य मामलों में भी किया जा सकता है। अतिरिक्त लोक अभियोजक ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि आरोप पत्र दाखिल करने से पहले जब्ती की प्रतियां नहीं दी जा सकतीं। पटियाला हाउस कोर्ट ने चैतन्यानंद को 17 अक्टूबर तक 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।