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पशुपति कुमार पारस: राजनीति में एक नई पहचान का सफर

पशुपति कुमार पारस ने अपने दिवंगत भाई रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा का तख्तापलट कर एक नई राजनीतिक पहचान बनाई। उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत से लेकर केंद्रीय मंत्री बनने तक की यात्रा में कई महत्वपूर्ण मोड़ आए हैं। जानें उनके जीवन के बारे में और कैसे उन्होंने बिहार की राजनीति में अपनी छाप छोड़ी है।
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पशुपति कुमार पारस: राजनीति में एक नई पहचान का सफर

पशुपति कुमार पारस का जीवन परिचय

पशुपति कुमार पारस का परिचय: पशुपति कुमार पारस ने राजनीति में तब सुर्खियां बटोरीं जब उन्होंने अपने दिवंगत भाई रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा का तख्तापलट किया। उन्होंने पार्टी के पांच सांसदों के साथ मिलकर भतीजे चिराग पासवान को नेता मानने से इनकार कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप पार्टी दो हिस्सों में बंट गई।


अक्टूबर 2021 में, उन्होंने राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) की स्थापना की और एनडीए का हिस्सा बन गए। 07 जुलाई 2021 को उन्होंने केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण एवं उद्योग मंत्री का पद ग्रहण किया। पारस ने राजनीतिक क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।


पशुपति कुमार पारस ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत अपने भाई, दिवंगत रामविलास पासवान से प्रेरित होकर की। उनका राजनीतिक सफर लोजपा के विकास से जुड़ा हुआ है, जो बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है।


पशुपति कुमार पारस का सफरनामा


नाम: पशुपति कुमार पारस


जन्म स्थान: शहरबन्नी, खगड़िया, बिहार।


जन्म तिथि: 12 जुलाई 1952


पिता का नाम: स्वर्गीय जामुन दास


माता का नाम: स्वर्गीय सिया देवी


विवाह तिथि: 02 सितंबर 1971


पत्नी: शोभा देवी, जो खगड़िया के मध्य विद्यालय से प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त हैं।


पुत्र: यश राज उर्फ मुस्कान


पुत्री: ईशा स्मृति


शैक्षिक योग्यता और व्यवसाय:


पशुपति कुमार पारस ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा शहरबन्नी में प्राप्त की, इसके बाद कोसी कॉलेज, खगड़िया से राजनीति शास्त्र में स्नातक (1972) और तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय से बीएड (1974) की डिग्री हासिल की। उन्होंने दस महीने तक प्राथमिक विद्यालय, खगड़िया में शिक्षक के रूप में कार्य किया। इसके बाद, उन्होंने 1977 में जेपी आंदोलन में भाग लिया।


पशुपति कुमार पारस का राजनीतिक सफर


2024: उन्होंने भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय से इस्तीफा दिया।


2021: केंद्रीय मंत्रिमंडल में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री के रूप में शामिल हुए।


2021: पारस ने खुद सहित 5 लोजपा सांसदों के विद्रोही समूह का नेतृत्व किया और खुद को लोक जनशक्ति पार्टी का नेता घोषित किया।


2019: हाजीपुर से 17वीं लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।


2005: अलौली से लोजपा उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा और जीते।


1995: जनता दल के उम्मीदवार के रूप में अलौली से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीते।


1985: लोकदल के उम्मीदवार के रूप में अलौली से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीते।


1977: जनता दल के उम्मीदवार के रूप में अलौली से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीते।