पश्चिम बंगाल में चुनावी रणनीति: पीएम मोदी ने सांसदों के साथ की महत्वपूर्ण बैठक
प्रधानमंत्री मोदी की बैठक का उद्देश्य
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के बीजेपी सांसदों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की, जिसमें उन्होंने 2026 के विधानसभा चुनावों की तैयारी पर गहन चर्चा की। यह बैठक ऐसे समय में हुई जब बंगाल की राजनीतिक स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और केंद्र तथा राज्य सरकार के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। पीएम मोदी ने सांसदों को बताया कि आगामी चुनाव राज्य के भविष्य को निर्धारित करेगा, इसलिए किसी भी प्रकार की लापरवाही की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए।
राज्य में बढ़ती हिंसा पर चिंता
खगेन मुर्मू पर हमले का जिक्र
बैठक में पीएम मोदी ने राज्य में बढ़ती हिंसा का मुद्दा उठाया और कहा कि बीजेपी सांसदों पर हो रहे हमलों को जनता के सामने लाना आवश्यक है। उन्होंने विशेष रूप से खगेन मुर्मू पर हुए हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि ये घटनाएं दर्शाती हैं कि तृणमूल कांग्रेस के शासन में लोकतांत्रिक मूल्यों को कितना नुकसान हो रहा है। मोदी का स्पष्ट संदेश था कि टीएमसी-शासित क्षेत्रों में हिंसा और असुरक्षा की वास्तविकता को जनता के सामने लाना चाहिए।
चुनाव जीतने के लिए रणनीति पर जोर
ग्राउंड स्ट्रेटजी का महत्व
बैठक में पीएम मोदी ने सांसदों को बताया कि चुनाव जीतने के लिए केवल राजनीतिक नारों पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है, बल्कि जनता के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखना आवश्यक है। उन्होंने केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों से नियमित संवाद स्थापित करने और यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि लोग हर योजना के प्रभाव को समझें। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया को एक प्रभावी उपकरण बताते हुए कहा कि सांसदों को डिजिटल प्लेटफार्मों पर केंद्र सरकार के कार्यों को मजबूती से प्रस्तुत करना चाहिए।
राजनीतिक दमन का आरोप
SIR विवाद और ममता बनर्जी का आरोप
यह बैठक तब हुई जब राज्य सरकार और टीएमसी एसआईआर यानी विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया का विरोध कर रही हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि बीजेपी और चुनाव आयोग ब्लॉक लेवल ऑफिसर्स (BLOs) पर दबाव डाल रहे हैं, जिससे कई मौतें और आत्महत्याएँ हो रही हैं। टीएमसी इसे 'राजनीतिक दमन' बता रही है, जबकि बीजेपी और केंद्र इसे 'शुद्धिकरण प्रक्रिया' करार दे रहे हैं। पीएम मोदी ने बैठक में स्पष्ट किया कि एसआईआर प्रक्रिया पारदर्शिता के लिए आवश्यक है और इसे लेकर भ्रम फैलाने वालों का सामना तथ्य आधारित जानकारी से करना होगा।
