पश्चिम बंगाल में विवाह पंजीकरण में वृद्धि: मुस्लिम समुदाय में नया रुझान
पश्चिम बंगाल में विवाह पंजीकरण का बढ़ता चलन
कोलकाता: हाल के महीनों में पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में एक नया सामाजिक रुझान उभरकर सामने आया है। जानकारी के अनुसार, मालदा, मुर्शिदाबाद, उत्तर दिनाजपुर और नदिया जैसे जिलों में मुस्लिम समुदाय के बीच विवाह पंजीकरण की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। यह बदलाव तब आया है जब राज्य में 'स्पेशल इंडेक्स रजिस्ट्रेशन' (SIR) प्रक्रिया को लेकर प्रशासनिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं।
विवाह पंजीकरण में 35% की वृद्धि
स्थानीय प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन महीनों में सीमावर्ती थानों में विवाह पंजीकरण के मामलों में लगभग 35% की वृद्धि हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वृद्धि कानूनी और नागरिक पहचान से संबंधित कारणों के चलते हो रही है। कई परिवारों का मानना है कि विवाह का पंजीकरण भविष्य में दस्तावेजी पहचान और संपत्ति से जुड़ी जटिलताओं से बचने में सहायक होगा।
युवाओं में वैधानिक प्रमाण की ओर झुकाव
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में पहले ज्यादातर शादियाँ सामाजिक या धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार होती थीं, लेकिन अब लोग वैधानिक प्रमाण की ओर अधिक ध्यान दे रहे हैं। यह बदलाव विशेष रूप से युवा वर्ग में अधिक स्पष्ट है।
पंजीकरण की संख्या में वृद्धि
स्थानीय निकाह रजिस्ट्रारों के अनुसार, पहले जहां प्रति सप्ताह 5-6 जोड़े विवाह का पंजीकरण करवाते थे, वहीं अब यह संख्या 15-20 तक पहुँच गई है। रजिस्ट्रेशन के प्रति जागरूकता शिक्षा, मोबाइल इंटरनेट और सरकारी योजनाओं की जानकारी में वृद्धि के कारण भी बढ़ी है।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन
हालांकि, कुछ समाजशास्त्रियों का कहना है कि यह प्रवृत्ति केवल कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक सुरक्षा से भी जुड़ी है। एक समाजशास्त्री ने कहा, 'कई मामलों में महिलाएं खुद रजिस्ट्रेशन की मांग कर रही हैं ताकि भविष्य में किसी विवाद की स्थिति में उनके अधिकार सुरक्षित रहें।'
राजनीतिक दृष्टिकोण
राजनीतिक हलकों में इस बढ़ते ट्रेंड को लेकर विभिन्न व्याख्याएं की जा रही हैं। कुछ का मानना है कि यह कदम प्रशासनिक जांच या नागरिकता संबंधी अनिश्चितताओं के चलते उठाया जा रहा है। हालांकि, सरकारी सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि इसका SIR से कोई सीधा संबंध नहीं है।
