पश्चिम बंगाल में शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ टीएमसी का कड़ा विरोध: जानें क्या है 'बैकडोर एनआरसी'

राजनीतिक तनाव का नया अध्याय
कूचबिहार, पश्चिम बंगाल में मंगलवार को राजनीतिक माहौल में उथल-पुथल मच गई, जब तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के समर्थकों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता शुभेंदु अधिकारी को काले झंडे दिखाए। यह विरोध 'बैकडोर एनआरसी' के खिलाफ था, जिसका अर्थ है नागरिकता परीक्षण का पिछला दरवाजा।
सड़क पर प्रदर्शन और प्रतीकात्मक विरोध
सड़क पर विरोध, काफिले के बाद धुलाई
प्रदर्शनकारियों ने केवल काले झंडे ही नहीं लहराए, बल्कि अधिकारी के काफिले के गुजरने के बाद 19 स्थानों पर सड़क को गोबर और पानी से शुद्ध किया। यह प्रतीकात्मक विरोध दर्शाता है कि टीएमसी समर्थकों ने अधिकारी की उपस्थिति को अपवित्र समझा।
कार पर हमला और लाठियों का प्रयोग
कार पर हमला, लाठियों का प्रयोग
जब शुभेंदु अधिकारी कूचबिहार पहुंचे, तो कुछ प्रदर्शनकारियों ने उनके वाहन पर हमला किया। बांस की लाठियों से उनकी कार की खिड़कियों पर प्रहार किया गया, जिससे पुलिस एस्कॉर्ट वाली कार के शीशे भी टूट गए। हालांकि, टीएमसी ने इसे 'पूर्व नियोजित नाटक' करार दिया है।
स्थानीय मुद्दों पर चर्चा के लिए पहुंचे अधिकारी
स्थानीय मुद्दे पर विरोध के लिए पहुंचे थे अधिकारी
शुभेंदु अधिकारी उत्तर बंगाल में भाजपा द्वारा आयोजित एक स्थानीय मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने आए थे। जैसे ही उनका काफिला खगराबाड़ी चौराहे से गुजरा, तृणमूल के समर्थकों ने जूते और नारों के साथ विरोध प्रदर्शन किया।
बैकडोर एनआरसी का क्या मतलब है?
क्या है 'बैकडोर एनआरसी'?
तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) के माध्यम से एनआरसी जैसे नागरिकता परीक्षण की शुरुआत करने का प्रयास कर रही है। पार्टी का कहना है कि यह प्रक्रिया अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों, को निशाना बनाने के लिए की जा रही है।
एनआरसी और सीएए का विवाद
एनआरसी और सीएए
एनआरसी और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 2019 से विवाद उत्पन्न हो चुका है। सीएए के विरोधियों का कहना है कि यह मुसलमानों की नागरिकता पर सवाल उठाने का एक साधन है, जबकि केंद्र सरकार इस दावे को खारिज करती रही है। इसी संदर्भ में तृणमूल को SIR प्रक्रिया में भाजपा की मंशा पर संदेह है।
SIR प्रक्रिया की मांग
पूरे देश में हो SIR
भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी और उनके सहयोगी देशभर में बिहार जैसी SIR प्रक्रिया लागू करने की मांग कर रहे हैं। अधिकारी का दावा है कि अकेले पश्चिम बंगाल में एक करोड़ से अधिक अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी प्रवासी रह रहे हैं, जिन्हें चिन्हित करना आवश्यक है।