पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच युद्ध की आशंका: मंत्री की चेतावनी
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है, जहां पाकिस्तानी मंत्री ख्वाजा आसिम ने युद्ध की चेतावनी दी है। उन्होंने तालिबान को शांति वार्ता से पहले कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। वार्ता की स्थिति नाज़ुक है, और तुर्की मध्यस्थता कर रहा है। जानें इस जटिल स्थिति के बारे में और क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
| Nov 6, 2025, 11:21 IST
पाकिस्तानी मंत्री की धमकी
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच एक बार फिर से संघर्ष की संभावना बढ़ गई है। पाकिस्तानी मंत्री ख्वाजा आसिम ने अफगानिस्तान को स्पष्ट चेतावनी दी है कि युद्ध अवश्य होगा। उन्होंने तालिबान को शांति वार्ता से पहले कार्रवाई की चेतावनी दी है। यह टिप्पणी मंत्री ने जियो टीवी को दिए एक साक्षात्कार में की, जो तीसरे दौर की वार्ता से पहले आई है। यह वार्ता दोहा और इस्तांबुल में पहले हुए दो दौरों के बाद होगी, जो बिना किसी ठोस परिणाम के समाप्त हो गए थे। आसिम ने कहा कि यदि वार्ता सफल नहीं होती है, तो स्थिति और बिगड़ सकती है। उन्होंने कहा कि हमारे पास विकल्प हैं और जिस तरह से हमें निशाना बनाया जा रहा है, हम भी उसी तरह जवाब दे सकते हैं।
संवेदनशील वार्ता की स्थिति
इस महीने की शुरुआत में सीमा पार हुई झड़पों के बाद, दोनों देशों के बीच एक नाज़ुक युद्धविराम समझौता हुआ था, जिसके चलते इस वार्ता पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। तुर्की इस प्रक्रिया को फिर से शुरू करने के लिए मध्यस्थता कर रहा है, लेकिन पाकिस्तान की मांग के कारण यह प्रक्रिया प्रभावित हो रही है कि काबुल तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के खिलाफ ठोस कार्रवाई करे। पिछले हफ्ते, पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी ने इस बैठक की पुष्टि की और सकारात्मक परिणाम की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान मध्यस्थता प्रक्रिया में शामिल रहेगा, लेकिन यह भी चेतावनी दी कि शांति अफगानिस्तान की ओर से आतंकवादी गतिविधियों को रोकने की इच्छा पर निर्भर करती है।
तालिबान के साथ बातचीत
अंद्राबी ने कहा कि पाकिस्तान ने तालिबान शासन के साथ बातचीत की है, यह सुनिश्चित करते हुए कि अफगान धरती का उपयोग पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद के लिए नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद टीटीपी के खिलाफ ठोस और सत्यापन योग्य कार्रवाई की उम्मीद करता है। वार्ता का पहला दौर 18-19 अक्टूबर को दोहा में हुआ, उसके बाद 25 अक्टूबर को इस्तांबुल में दूसरा दौर हुआ, जो कई दिनों तक चला और पिछले हफ्ते समाप्त हुआ। दोनों पक्ष युद्धविराम बनाए रखने पर सहमत हुए, लेकिन अधिकारियों का मानना है कि गहरा अविश्वास अभी भी बना हुआ है। इस बीच, आसिम ने काबुल के इस दावे को खारिज कर दिया कि टीटीपी के लड़ाके केवल पाकिस्तानी शरणार्थी हैं जो लौट रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि शरणार्थी भारी हथियार लेकर और चोरों की तरह पहाड़ी रास्तों से कैसे वापस आ सकते हैं, जो अफगानिस्तान की कपटपूर्णता को उजागर करता है।
तालिबान के खिलाफ कड़े कदम
इसके अलावा, आसिम ने कहा कि जब तक तालिबान सरकार सीमा पार हमलों को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाती, तब तक अफगानिस्तान के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते। उन्होंने यह भी कहा कि वह पूरी अफगान सरकार को दोष नहीं देंगे, लेकिन कई लोग स्पष्ट रूप से इन समूहों का समर्थन कर रहे हैं।
