पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच वार्ता विफल, तनाव बढ़ने की आशंका
इस्तांबुल में वार्ता का परिणाम
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तीन दिनों तक चली वार्ता, जो दक्षिण एशियाई देशों के बीच बढ़ते तनाव को कम करने के लिए आयोजित की गई थी, मंगलवार को असफल रही। यह वार्ता कतर और तुर्की की मध्यस्थता में हुई, और यह दोहा में प्रारंभिक बातचीत के बाद आयोजित की गई थी। 19 अक्टूबर को एक सप्ताह तक चले संघर्ष के बाद अस्थायी युद्धविराम हुआ था, जिसमें कई लोग मारे गए थे। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों के बीच पूर्ण संघर्ष से बचने के लिए प्रयास जारी रहेंगे, लेकिन दोहा युद्धविराम समझौते को आगे बढ़ाने में असमर्थता के कारण नई शत्रुता की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
शांति वार्ता का निष्कर्ष
पाकिस्तान के सूचना मंत्री ने बुधवार को बताया कि इस्तांबुल में चार दिनों तक चली शांति वार्ता का कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। उन्होंने तालिबान सरकार पर आरोप लगाया कि वह सीमा पार हमलों के लिए जिम्मेदार चरमपंथियों के खिलाफ कार्रवाई करने से इनकार कर रही है। यह वार्ता दोहा में पहले दौर की वार्ता के बाद हुई थी, जिसके बाद संघर्षविराम की घोषणा की गई थी।
आरोप-प्रत्यारोप का दौर
पाकिस्तान तालिबान पर हमलों को अंजाम देने वाले चरमपंथियों को शरण देने का आरोप लगाता है, जबकि अफगानिस्तान इस बात से इनकार करता है कि उसकी ज़मीन का उपयोग पाकिस्तान के खिलाफ किया जा रहा है। सूचना मंत्री ने कहा कि कतर और तुर्की की मध्यस्थता के बावजूद बातचीत में कोई व्यावहारिक समाधान नहीं निकला।
बातचीत में गतिरोध
अफगानिस्तान ने तरार के बयान पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इससे पहले, दोनों देशों की सरकारी मीडिया ने वार्ता में गतिरोध की बात की थी और समझौते तक पहुंचने में विफलता के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगाए थे।
बातचीत की संवेदनशीलता
पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को लगभग 18 घंटे तक बातचीत चली, लेकिन अफगान प्रतिनिधिमंडल पर इस्लामाबाद की मुख्य मांग पर अपना रुख बदलने का आरोप लगाया गया। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अफगान दल के लिए "काबुल से प्राप्त निर्देश" बातचीत को जटिल बना रहे हैं।
सीमा पार हमले
हाल ही में, दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीमा पार हमलों में कई लोग, सैनिक और नागरिक मारे गए हैं और कई अन्य घायल हुए हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति का हस्तक्षेप
अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि वह "अफगानिस्तान-पाकिस्तान संकट को जल्द सुलझा लेंगे।"
