पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच शांति वार्ता में असफलता, तनाव बढ़ने की आशंका
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच इस्तांबुल में आयोजित शांति वार्ता असफल रही, जिससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ने की आशंका उत्पन्न हो गई है। पाकिस्तान के मंत्री ने अफगान प्रतिनिधियों पर मुख्य मुद्दे से भटकने का आरोप लगाया है। युद्धविराम के बावजूद सीमा पर झड़पें जारी हैं, जिसमें कई सैनिकों की जान गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस वार्ता की विफलता से दक्षिण एशिया में स्थिति और जटिल हो सकती है। दोनों पक्षों ने भविष्य में बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई है, लेकिन प्रमुख मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।
| Oct 29, 2025, 22:31 IST
इस्तांबुल में शांति वार्ता का परिणाम
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच इस्तांबुल में चल रही शांति वार्ता की शुरुआत इस उम्मीद के साथ हुई थी कि यह लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने में मददगार साबित होगी। हालांकि, हालिया जानकारी के अनुसार, यह बातचीत किसी ठोस समझौते पर पहुंचने में असफल रही है। इस बैठक का आयोजन तुर्की और कतर ने किया था, जो 25 अक्टूबर से चल रही थी। इससे पहले, 19 अक्टूबर को दोहा में दोनों पक्षों ने अस्थायी युद्धविराम की घोषणा की थी।
पाकिस्तान के मंत्री की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के सूचना मंत्री अत्ताउल्लाह तरड़ ने इस्तांबुल वार्ता को बेनतीजा बताते हुए कहा कि अफगान प्रतिनिधि बार-बार मुख्य मुद्दे से भटकते रहे और जिम्मेदारी लेने से बचते रहे। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) जैसे समूहों के खिलाफ काबुल से ठोस कार्रवाई सुनिश्चित कराना था, लेकिन पाकिस्तान का आरोप है कि अफगान पक्ष इस पर कोई स्पष्ट कदम उठाने को तैयार नहीं है।
पाकिस्तान का कड़ा संदेश
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि वे इस स्थिति को बर्दाश्त नहीं करेंगे और यदि काबुल से कोई हमला हुआ, तो उसका जवाब “तीव्र” होगा। उन्होंने तालिबान पर आरोप लगाया कि वे दिल्ली के इशारे पर काम कर रहे हैं और यह भी कहा कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ कम तीव्रता वाला संघर्ष बनाए रखने के लिए अफगानिस्तान का उपयोग कर रहा है। यह आरोप दोनों देशों के बीच पहले से मौजूद आपसी आशंकाओं को और बढ़ाता है।
सीमा पर झड़पें जारी
युद्धविराम के बावजूद सीमा पर झड़पें जारी हैं; हालिया रिपोर्टों के अनुसार, हालिया संघर्षों में पांच पाकिस्तानी सैनिक और लगभग 25 तालिबान लड़ाके मारे गए हैं, जो यह दर्शाता है कि स्थायी शांति अभी भी दूर है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस्तांबुल वार्ता की विफलता से दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान-पाकिस्तान तनाव बढ़ सकता है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा की स्थिति और जटिल हो सकती है।
भविष्य की बातचीत की संभावनाएँ
तुर्की और कतर की मध्यस्थता में दोनों पक्षों ने आगे भी बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई है, लेकिन पाकिस्तान की प्रमुख मांगों, विशेषकर सीमा पार अड्डों पर कार्रवाई और आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कदम उठाने पर अभी तक कोई बाध्यकारी निर्णय नहीं लिया गया है। वर्तमान में, दोनों देशों के बीच भरोसे की कमी और बाहरी देशों के प्रभाव के आरोप शांति प्रक्रिया में सबसे बड़ी बाधा बने हुए हैं।
