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पाकिस्तान का ईरान के परमाणु कार्यक्रम का समर्थन, अमेरिका और इजरायल के साथ तनाव के बीच बड़ा बयान

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम का समर्थन किया है, जो अमेरिका और इजरायल के साथ बढ़ते तनाव के बीच एक महत्वपूर्ण बयान है। इस दौरान, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने पाकिस्तान का दौरा किया, जहां दोनों देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ाने पर सहमति बनी। विश्लेषकों का मानना है कि यह रुख क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है। जानें इस घटनाक्रम के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
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पाकिस्तान का ईरान के परमाणु कार्यक्रम का समर्थन, अमेरिका और इजरायल के साथ तनाव के बीच बड़ा बयान

पाकिस्तान का नया रुख

इस्लामाबाद/तेहरान: अमेरिका और इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों पर हालिया हमलों के संदर्भ में, पाकिस्तान ने एक महत्वपूर्ण और चौंकाने वाला रुख अपनाया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने स्पष्ट किया है कि उनका देश ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा के उपयोग के अधिकार का समर्थन करता है। यह बयान तब आया है जब अमेरिका और इजरायल दोनों ही ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए हैं।


ईरान के राष्ट्रपति का पाकिस्तान दौरा

गौरतलब: ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन इस समय पाकिस्तान के दौरे पर हैं। इस दौरान, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। दोनों देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ाने पर सहमति बनी है। वर्तमान में, पाकिस्तान और ईरान के बीच 3 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार है, जिसे बढ़ाकर 10 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है।


समझौतों पर हस्ताक्षर

इस यात्रा के दौरान, पाकिस्तान और ईरान के बीच 12 महत्वपूर्ण समझौतों और सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए गए। हालांकि, इस दौरे की सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि प्रधानमंत्री शरीफ ने ईरान के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का समर्थन किया। उन्होंने कहा, "पाकिस्तान शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा प्राप्ति के ईरान के उद्देश्यों के साथ खड़ा है।" शरीफ ने हाल ही में इजरायल द्वारा ईरान पर किए गए हवाई हमलों की निंदा करते हुए तेहरान की आत्मरक्षा की सराहना भी की।


अमेरिका और इजरायल की प्रतिक्रिया

यह बयान उस समय आया है जब अमेरिका ने जून 2025 में ईरान की नतांज, फोर्डो और इस्फहान न्यूक्लियर साइट्स पर बी-2 बॉम्बर्स से हमले किए थे। इजरायल भी ईरान के परमाणु विकास को लेकर कई बार सैन्य कार्रवाई कर चुका है। अमेरिका और इजरायल दोनों ही ईरान के परमाणु कार्यक्रम को क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा मानते हैं।


विश्लेषकों की राय

विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान का यह रुख क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है। अमेरिका के साथ पाकिस्तान के रिश्तों पर भी इसका असर पड़ सकता है, खासकर जब ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को टैरिफ में रियायतें दी हैं और तेल निवेश को लेकर सहयोग की बात की है।


डबल गेम का आरोप

हालांकि, ईरान के परमाणु कार्यक्रम का समर्थन देना पाकिस्तान की ओर से एक डबल गेम माना जा रहा है — एक ओर अमेरिका से रियायतें, तो दूसरी ओर ईरान से सामरिक निकटता। इस घटनाक्रम से स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में पश्चिम एशिया और दक्षिण एशिया की राजनीति में नई चुनौतियां और समीकरण बन सकते हैं।