पाकिस्तान का नया सैन्य पद: कमांडर ऑफ डिफेंस फोर्सेज़ की स्थापना
पाकिस्तान ने भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद अपने रक्षा ढांचे में महत्वपूर्ण बदलाव करने का निर्णय लिया है। नए कमांडर ऑफ डिफेंस फोर्सेज़ (सीडीएफ) के पद की स्थापना की जा रही है, जो तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करेगा। यह कदम पाकिस्तान की सैन्य रणनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो भारत से मिली करारी हार के बाद उठाया जा रहा है। जानें इस नए पद की जिम्मेदारियों और पाकिस्तान के भीतर उठ रहे सवालों के बारे में।
| Nov 8, 2025, 12:00 IST
पाकिस्तान की सैन्य संरचना में बदलाव
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत से मिली करारी हार के बाद, पाकिस्तान अपने रक्षा बलों को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। इस्लामाबाद से मिली जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान अपने रक्षा ढांचे में महत्वपूर्ण बदलाव करने की योजना बना रहा है। वह तीनों सेनाओं— थल, जल और वायु के बीच बेहतर समन्वय के लिए एक नया शीर्ष सैन्य पद, “कमांडर ऑफ डिफेंस फोर्सेज़ (CDF)” स्थापित करने जा रहा है। यह पद भारत के सीडीएस के समान होगा, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत की नीतियों की नकल करने का निर्णय लिया है।
आतंकी हमले के बाद की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान को सीडीएफ बनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी, यह सभी जानते हैं। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, भारत ने 7 मई को “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए। इन हमलों ने पाकिस्तानी वायुसेना के कई ठिकानों को नष्ट कर दिया। चार दिन तक चले इस संघर्ष के बाद, पाकिस्तान ने संघर्षविराम की अपील की, जिसे भारत ने अपनी शर्तों पर स्वीकार किया। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में मची हलचल यह दर्शाती है कि भारत का हमला केवल सीमाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उसने पाकिस्तान के सैन्य आत्मविश्वास को भी तोड़ दिया है। इसलिए, पाकिस्तान अपने रक्षा ढांचे की समीक्षा कर रहा है और “कमांडर ऑफ डिफेंस फोर्सेज़” जैसे नए पद की स्थापना कर रहा है। यह वही पाकिस्तान है, जिसने दशकों से भारत को “रणनीतिक खतरा” बताया है, लेकिन अब वह भारतीय हमले के डर से अपनी सेनाओं के बीच तालमेल बनाने की कोशिश कर रहा है। यह एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है, जो रणनीतिक पराजय की स्वीकृति को दर्शाता है।
संविधान में संशोधन की प्रक्रिया
पाकिस्तान के ‘द न्यूज़’ ने भी इस कदम को भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से मिले सबक का परिणाम बताया है। पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 243 में संशोधन का मसौदा तैयार किया गया है। वर्तमान में, यह अनुच्छेद सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमान राष्ट्रपति के अधीन रखता है, जबकि वास्तविक नियंत्रण संघीय सरकार के पास है। नई व्यवस्था में यह अधिकार एकीकृत सैन्य कमान यानी सीडीएफ को सौंपने का प्रस्ताव है, जो तीनों सेनाओं की संयुक्त कार्रवाइयों का नेतृत्व करेगा। इसका उद्देश्य संकट की स्थिति में तेज़ और समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना है।
रक्षा मंत्री की पुष्टि
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि सरकार रक्षा सुधारों पर गंभीरता से विचार कर रही है। उन्होंने मीडिया से कहा, “अनुच्छेद 243 पर चर्चा जारी है। रक्षा आवश्यकताएँ बदल चुकी हैं और इन सुधारों को सभी हितधारकों की सहमति से आगे बढ़ाया जाएगा।” बताया जा रहा है कि इन सुधारों में केवल सैन्य संरचना ही नहीं, बल्कि संवैधानिक और न्यायिक ढांचे में भी परिवर्तन प्रस्तावित हैं। पाकिस्तान के 27वें संविधान संशोधन में एक नए संवैधानिक न्यायालय की स्थापना का भी प्रस्ताव है।
सैन्य और न्यायिक ढांचे में परिवर्तन
अन्य प्रस्तावित परिवर्तनों में ज्वॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी का पुनर्गठन और नाम परिवर्तन शामिल हैं। इसके अलावा, स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड की स्थापना, सेना प्रमुख को फील्ड मार्शल का मानद दर्जा, कार्यपालिका मजिस्ट्रेट प्रणाली की पुनः स्थापना, शिक्षा और जनसंख्या नियोजन का नियंत्रण संघीय सरकार को लौटाना, और चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया में संशोधन का भी प्रस्ताव है।
सीडीएफ की स्थापना का महत्व
पाकिस्तानी रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि सीडीएफ पद की स्थापना आधुनिक “हाइब्रिड वॉरफेयर” के अनुरूप एक आवश्यक कदम है, जहाँ विभिन्न मोर्चों पर खतरे एक साथ उभर सकते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “आधुनिक युद्ध का स्वरूप संयुक्त संचालन की माँग करता है। हम अलग-अलग शाखाओं में बँटकर नहीं लड़ सकते।” हालांकि, आलोचकों का कहना है कि एक व्यक्ति के हाथों में अत्यधिक शक्ति केंद्रित करने से नागरिक-सैन्य संतुलन बिगड़ सकता है।
नए पद की जिम्मेदारी
अब एक बड़ा सवाल यह है कि यदि “कमांडर ऑफ डिफेंस फोर्सेज़ (सीडीएफ)” का नया पद बनाया जा रहा है, तो यह जिम्मेदारी किसे सौंपी जाएगी? क्या यह मौजूदा सेनाध्यक्ष और नव-प्रमोटेड फील्ड मार्शल जनरल असीम मुनीर से ऊपर होगा? प्रस्तावित सीडीएफ तीनों सेनाओं के संचालन और समन्वय की जिम्मेदारी संभालेगा। ऐसे में यह स्वाभाविक सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान अपनी परंपरागत सैन्य कमान संरचना में ‘सुपर चीफ’ जैसी व्यवस्था बनाने जा रहा है? यदि ऐसा होता है, तो सेना के भीतर शक्ति-संतुलन में बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है।
पाकिस्तान की बेचैनी
हालांकि, पाकिस्तान सरकार संसद में संविधान संशोधन लाकर सेना प्रमुख के ऊपर “CDF” नामक एक संयुक्त कमांडर पद बनाने को “आधुनिक युद्ध की माँगों” के अनुरूप कदम बता रही है, लेकिन सच्चाई यह है कि पाकिस्तान की यह बेचैनी सीधे “ऑपरेशन सिंदूर” की गूंज है। जिस देश ने दशकों तक अपने सैन्य ढाँचे को भारत के विरोध पर आधारित रखा, वही आज भारत से मिले सबक के बाद सैन्य ढांचे में सुधार की बात कर रहा है। पाकिस्तान भले ही नए “कमांडर ऑफ डिफेंस फोर्सेज़” बनाकर अपने सैन्य तंत्र को सुधारने का प्रयास कर रहा हो, लेकिन वास्तविकता यह है कि ऑपरेशन सिंदूर ने उसकी रणनीतिक आत्मा पर गहरा प्रभाव डाला है। भारत की सेनाओं ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि दुश्मन सीमा पार से हमला करेगा, तो जवाब भी सीमा पार ही मिलेगा— तेज़, ठोस और प्रभावी तरीके से।
