पाकिस्तान की नई वैश्विक कूटनीति: भारत के खिलाफ समर्थन जुटाने की कोशिश

पाकिस्तान का राजनयिक कदम
भारत के बाद, पाकिस्तान ने भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए एक राजनयिक प्रतिनिधिमंडल भेजने का निर्णय लिया है। यह कदम भारत की कूटनीतिक रणनीति की नकल करते हुए उठाया गया है, जिसमें भारत ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम हमले के जवाब में 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत आतंकवादी ठिकानों पर कार्रवाई की थी और 33 देशों में सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजे थे। अब पाकिस्तान अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य देशों में अपनी बात रखने की कोशिश कर रहा है, ताकि वह भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन प्राप्त कर सके.
पाकिस्तान की नई रणनीति
पाकिस्तान ने 2 जून 2025 को अपनी वैश्विक राजनयिक रणनीति का खुलासा किया। इसके तहत दो अलग-अलग प्रतिनिधिमंडल भेजे जा रहे हैं। पाकिस्तान का कहना है कि ये दल भारत-पाकिस्तान के बीच समस्याओं को बातचीत के माध्यम से हल करने की आवश्यकता पर जोर देंगे। विदेश मंत्रालय के अनुसार, ये प्रतिनिधिमंडल अंतरराष्ट्रीय संगठनों, नेताओं, अधिकारियों, सांसदों, थिंक टैंक्स, मीडिया और प्रवासी पाकिस्तानियों से बातचीत करेंगे.
बिलावल भुट्टो का नेतृत्व
बिलावल भुट्टो की अगुवाई में पहला दल
पाकिस्तान का पहला प्रतिनिधिमंडल न्यूयॉर्क, वाशिंगटन डीसी, लंदन और ब्रुसेल्स की यात्रा करेगा। इस नौ सदस्यीय दल का नेतृत्व पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी कर रहे हैं। इस दल में संघीय मंत्री मुसादिक मलिक, पूर्व विदेश मंत्रियों हिना रब्बानी खार और खुर्रम दस्तगीर खान, पूर्व मंत्रियों सैयद फैसल अली सुब्जवारी और शेरी रहमान, सीनेटर बुशरा अंजुम बट, और दो पूर्व विदेश सचिव जलिल अब्बास जिलानी और तहमीना जंजुआ शामिल हैं.
मॉस्को की ओर दूसरा दल
दूसरा दल मॉस्को की ओर
पाकिस्तान का दूसरा प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री के विशेष सहायक सैयद तारिक फातिमी की अगुवाई में मॉस्को जाएगा। इस दल के सदस्यों की जानकारी अभी साझा नहीं की गई है। दोनों दल भारत के हालिया सैन्य हमलों को 'आक्रामकता' बताकर पाकिस्तान का पक्ष रखेंगे और सिंधु जल संधि को फिर से शुरू करने की मांग करेंगे.
पहलगाम हमले का प्रभाव
पहलगाम हमले से शुरू हुआ तनाव
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकांश हिंदू पर्यटक थे। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में नौ आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया गया। इस कार्रवाई में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों को निशाना बनाया गया.
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई और युद्धविराम
ऑपरेशन सिंदूर के बाद, पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारत के सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमले करने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने इन हमलों को विफल कर दिया। 10 मई को दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) के बीच बातचीत के बाद युद्धविराम पर सहमति बनी। हालांकि, दोनों देश एक-दूसरे पर युद्धविराम तोड़ने का आरोप लगाते रहे.
भारत की कूटनीतिक सफलता
भारत की कूटनीतिक जीत
भारत ने पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद अपनी बात वैश्विक मंच पर रखने के लिए सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल 33 देशों में भेजे। इन दलों में शशि थरूर, रविशंकर प्रसाद, कनिमोझी, और अन्य सांसद शामिल थे, जो आतंकवाद के खिलाफ भारत के जीरो टॉलरेंस के संदेश को लेकर गए। भारत ने स्पष्ट किया कि पहलगाम हमले का जवाब देने के लिए ऑपरेशन सिंदूर आवश्यक था और यह केवल आतंकवादी ठिकानों तक सीमित था.