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पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने भारत से बातचीत के लिए ट्रंप से मांगी मदद

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत के साथ बातचीत शुरू करने के लिए डोनाल्ड ट्रंप से मदद मांगी है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं। भारत ने आतंकवाद और बातचीत को एक साथ न चलाने का स्पष्ट रुख अपनाया है। जानें इस स्थिति का क्या प्रभाव हो सकता है और अमेरिका की प्रतिक्रिया क्या होगी।
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शहबाज शरीफ का अप्रत्याशित कदम

हाल ही में भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत की गई कार्रवाई के बाद, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत के साथ संवाद स्थापित करने के लिए एक अनपेक्षित कदम उठाया है। उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से संपर्क किया है, उनसे भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत को पुनः शुरू करने में मदद की गुहार लगाई है।


यह जानकारी ऐसे समय में आई है जब भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं, विशेषकर सीमा पार आतंकवाद और सुरक्षा चिंताओं के कारण। भारत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते, और पाकिस्तान को पहले अपनी धरती से भारत विरोधी गतिविधियों को रोकना होगा।


शहबाज शरीफ का ट्रंप से संपर्क करना यह संकेत देता है कि पाकिस्तान शायद वर्तमान स्थिति में भारत के साथ सीधे बातचीत करने में कठिनाई महसूस कर रहा है या किसी तीसरे पक्ष की मदद की तलाश में है। 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसी सैन्य कार्रवाई के बाद पाकिस्तान की ओर से बातचीत की पहल महत्वपूर्ण मानी जा रही है और यह उस कार्रवाई के प्रभाव का संकेत भी हो सकता है।


डोनाल्ड ट्रंप का वैश्विक कूटनीति में एक अलग दृष्टिकोण रहा है और उन्होंने पहले भी भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की इच्छा व्यक्त की थी, हालांकि भारत ने हमेशा द्विपक्षीय मुद्दों पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से इनकार किया है।


पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का यह कदम अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेषकर अमेरिका को यह संदेश देने का प्रयास हो सकता है कि पाकिस्तान बातचीत के लिए तैयार है, भले ही वह भारत की शर्तों को पूरा करने में सक्षम न हो। अब यह देखना होगा कि इस अनुरोध पर डोनाल्ड ट्रंप या अमेरिका की क्या प्रतिक्रिया होती है और क्या भारत अपने स्थापित रुख से हटकर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार करेगा।