पाकिस्तान के बलूचिस्तान में बढ़ता संकट: सेना की टैंकों के साथ तैनाती

बलूचिस्तान में बिगड़ते हालात
बलूचिस्तान संकट: पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थिति तेजी से बिगड़ती जा रही है। अलगाववादी आंदोलनों और सेना के बीच संघर्ष ने एक नया मोड़ ले लिया है, जिसके चलते पाकिस्तान सेना ने बलूच क्षेत्रों में टैंकों को तैनात कर दिया है। इस कदम से न केवल स्थानीय नागरिकों में भय का माहौल है, बल्कि मानवाधिकार संगठनों और बलूच हितों के लिए काम कर रहे अंतरराष्ट्रीय समूहों ने भी चिंता जताई है।
सैन्य दमन की आलोचना
बलूचिस्तान में पाक सेना की बढ़ती सख्ती और दमन की आलोचना करते हुए कई संगठनों ने इसे राज्य प्रायोजित आतंकवाद करार दिया है। फ्री बलूच मूवमेंट के वरिष्ठ नेता मीर यार बलूच ने सेना की इस कार्रवाई को बलूच जनता को डराने की कोशिश बताया है, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी है कि बलूच समुदाय अपने आत्म-सम्मान और मातृभूमि की रक्षा के लिए डटकर मुकाबला करेगा।
मीर यार बलूच का वीडियो और आरोप
Breaking News,
— Mir Yar Baloch (@miryar_baloch) September 5, 2025
It is not an insurgency but the country Balochistan defending itself from Pakistani occupation.
After back to back surrender and humiliation of its military now the ground forces of occupational forces rolled in its tanks in the streets of #RepublicOfBalochistan… pic.twitter.com/f3z8z8lbbq
पाक सेना की कार्रवाई पर मीर यार बलूच की टिप्पणी
मीर यार बलूच ने एक्स पर एक वीडियो साझा करते हुए लिखा कि लगातार अपमान के बाद बलूचिस्तान की जनता को निशाना बनाने के लिए पाक सेना सड़कों पर अपने टैंकों के साथ उतर आई है। वीडियो में बलूचिस्तान की सड़कों पर चलते टैंकों को साफ देखा जा सकता है। उन्होंने सेना पर निहत्थे नागरिकों के अपहरण, हवाई हमले और बल प्रयोग का आरोप लगाते हुए कहा कि यह सब बलूचों की आवाज को दबाने के लिए किया जा रहा है।
पाक सेना पर हमलों का सिलसिला जारी
बलूच विद्रोही गुटों द्वारा पाक सुरक्षा बलों पर हमले लगातार जारी हैं। शुक्रवार को बलूचिस्तान के केच जिले के मांड इलाके में फ्रंटियर कॉर्प्स (FC) के दो जवान एक हमले में मारे गए। जानकारी के अनुसार ये जवान नियमित गश्त पर थे तभी हथियारबंद हमलावरों ने उन पर फायरिंग की और उनके हथियार भी लूट लिए।
तीन दिन में हुए हमले
बुधवार से शुक्रवार के बीच दो बलूच सशस्त्र संगठनों ने पाक सेना और सरकारी परियोजनाओं पर हमले करने की जिम्मेदारी ली है। ये हमले पाकिस्तान सरकार के उस दावे पर सवाल खड़ा करते हैं जिसमें कहा गया था कि बलूचिस्तान में स्थिति नियंत्रण में है। टैंकों की तैनाती और सेना की सख्त कार्रवाई के बाद से नागरिक समाज और मानवाधिकार संगठन चिंतित हैं। उनका कहना है कि अगर पाकिस्तान सरकार ने स्थिति को संवाद से सुलझाने की कोशिश नहीं की तो यह संघर्ष और अधिक उग्र हो सकता है, जिससे आम नागरिकों की जान जोखिम में पड़ जाएगी।
भविष्य की अनिश्चितता
बलूचिस्तान में चल रही यह स्थिति पाकिस्तान के लिए एक आंतरिक सुरक्षा संकट बन चुकी है। जहां एक ओर विद्रोही समूह आत्मनिर्णय की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार सैन्य बल से स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश में है। आने वाले समय में यह टकराव कितना गहराएगा, यह देखना बाकी है लेकिन फिलहाल जो तस्वीर सामने है वह खौफनाक और चिंताजनक है।