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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का शिमला समझौते पर विवादास्पद बयान

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने 1972 के शिमला समझौते को 'मृत दस्तावेज' बताते हुए इसे अप्रासंगिक करार दिया है। उनका कहना है कि भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद यह समझौता अपनी प्रासंगिकता खो चुका है। हालांकि, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस बयान का खंडन करते हुए कहा है कि किसी भी द्विपक्षीय समझौते को रद्द करने का कोई औपचारिक निर्णय नहीं लिया गया है। इस लेख में शिमला समझौते का ऐतिहासिक महत्व और सिंधु जल संधि पर तनाव के बारे में भी चर्चा की गई है।
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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का शिमला समझौते पर विवादास्पद बयान

शिमला समझौते को 'मृत दस्तावेज' करार

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने 1972 में हुए शिमला समझौते को 'मृत दस्तावेज' बताते हुए कहा कि यह अब अप्रासंगिक हो चुका है। उन्होंने कहा, 'हम 1948 की स्थिति पर लौट आए हैं।' आसिफ ने नियंत्रण रेखा (LoC) को पहले भारत-पाक युद्ध की युद्ध विराम रेखा के रूप में संदर्भित किया और यह भी दावा किया कि भारत द्वारा 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद यह समझौता अपनी प्रासंगिकता खो चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि सिंधु जल संधि का स्थगन हो या न हो, शिमला समझौता पहले ही समाप्त हो चुका है। यह बयान भारत-पाक के बीच बढ़ते तनाव और 22 अप्रैल 2025 को पाहलगाम में 26 पर्यटकों की हत्या के बाद आया है।


पाक विदेश मंत्रालय का स्पष्टीकरण

पाक विदेश मंत्रालय का खंडन
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने आसिफ के बयान का खंडन करते हुए कहा कि शिमला समझौते सहित भारत के साथ किसी भी द्विपक्षीय समझौते को रद्द करने का कोई औपचारिक निर्णय नहीं लिया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' से बातचीत में कहा, 'सिंधु जल संधि को स्थगित करने के भारत के फैसले पर आंतरिक चर्चा हुई, लेकिन द्विपक्षीय संधियों को रद्द करने की कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। वर्तमान में, किसी भी द्विपक्षीय समझौते को समाप्त करने का कोई औपचारिक निर्णय नहीं है। शिमला समझौते सहित सभी मौजूदा द्विपक्षीय समझौते प्रभावी रहेंगे।'


शिमला समझौते का ऐतिहासिक संदर्भ

शिमला समझते का ऐतिहासिक महत्व
1972 में इंदिरा गांधी और जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच शिमला में हस्ताक्षरित इस समझौते का महत्व है, जो 1971 के युद्ध के बाद हुआ, जिसमें पाकिस्तान के 90,000 सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया और बांग्लादेश का निर्माण हुआ। इस समझौते में यह तय किया गया था कि कश्मीर सहित विवादों का समाधान आपसी बातचीत से किया जाएगा, न कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर।


सिंधु जल संधि पर तनाव

सिंधु जल संधि पर तनाव
1960 की सिंधु जल संधि के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच नदियों के जल का बंटवारा हुआ। भारत ने मानवीय आधार पर इस संधि का कभी उल्लंघन नहीं किया, लेकिन पाहलगाम हमले के बाद इसे निलंबित कर दिया गया।