पाकिस्तान में 27वें संविधान संशोधन पर राजनीतिक विवाद और विरोध प्रदर्शन
पाकिस्तान में संविधान संशोधन पर घमासान
पाकिस्तान की संसद में प्रस्तावित 27वें संविधान संशोधन विधेयक को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। जहां सरकार इसे पारित करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है, वहीं विपक्षी गठबंधन ने इस कदम की तीखी आलोचना की है, इसे 'संविधान की नींव हिलाने' वाला करार दिया है। इसके विरोध में रविवार से देशभर में प्रदर्शन की योजना बनाई गई है।
संशोधन के मुख्य बिंदु
इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य संविधान के कई महत्वपूर्ण हिस्सों में बदलाव करना है, जिसमें सैन्य नेतृत्व से संबंधित संशोधन सबसे प्रमुख है। अनुच्छेद 243 में संशोधन के तहत 'चेयरमैन ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी' (CJCSC) का पद समाप्त कर 'चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज' नामक नए पद की स्थापना का प्रस्ताव है।
इसके अतिरिक्त, न्यायपालिका में भी बड़े बदलाव की योजना है, जैसे कि एक संघीय संवैधानिक न्यायालय की स्थापना और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में संशोधन। इसके साथ ही, उच्चतम न्यायालय की शक्तियों को कम करते हुए कुछ प्राधिकारों को प्रस्तावित न्यायालय में स्थानांतरित करने का भी सुझाव दिया गया है। एक विवादास्पद प्रावधान के तहत, राष्ट्रपति को आजीवन आपराधिक कार्यवाही से छूट देने का प्रावधान भी शामिल है।
संसदीय प्रक्रिया और सरकार की अपेक्षाएँ
इस संदर्भ में संसदीय प्रक्रिया जारी है, जहां कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने शनिवार को ऊपरी सदन सीनेट में संशोधन विधेयक पेश किया। इसे सभापति यूसुफ रजा गिलानी ने आगे की चर्चा के लिए सदन की समिति को भेज दिया है। सरकार को उम्मीद है कि सोमवार को होने वाले मतदान में उसे कम से कम 64 सीनेटरों का दो-तिहाई बहुमत प्राप्त होगा। सीनेट से पारित होने के बाद, इसे नेशनल असेंबली में भी दो-तिहाई बहुमत से पास कराना होगा और अंत में इसे कानून बनने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी आवश्यक होगी।
विपक्ष का 'संविधान बचाओ' आंदोलन
प्रस्तावित 27वें संविधान संशोधन के खिलाफ, बहुदलीय विपक्षी गठबंधन तहरीक-ए-तहाफुज आईन-ए-पाकिस्तान (TTAP) ने देशव्यापी विरोध आंदोलन की घोषणा की है। इस गठबंधन में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के साथ-साथ मजलिस वहदत-ए-मुस्लिमीन (MWM), पश्तूनख्वा मिल्ली अवामी पार्टी (PKMAP), बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल (BNP-M) और सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल (SIC) जैसी पार्टियाँ शामिल हैं। इस विरोध के दौरान, MWM के प्रमुख अल्लामा राजा नासिर अब्बास ने कहा कि पाकिस्तान में लोकतांत्रिक संस्थाएं कमजोर हो गई हैं और राष्ट्र को इस प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ कदम उठाना चाहिए।
