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पार्थ पवार की लैंड डील में बढ़ी मुश्किलें, 21 करोड़ का नोटिस

पार्थ पवार की कंपनी Amadea Enterprises LLP को पुणे में एक विवादास्पद लैंड डील के चलते 21 करोड़ रुपये का आर्थिक झटका लगा है। कंपनी ने 40 एकड़ सरकारी जमीन के सौदे को रद्द करने का प्रयास किया, लेकिन रजिस्ट्रार कार्यालय ने कहा कि रद्दीकरण तभी संभव है जब सभी स्टाम्प ड्यूटी और जुर्माना अदा किया जाए। यह मामला पहले से ही दो एफआईआर के कारण विवादों में है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे की कहानी।
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पार्थ पवार की लैंड डील में बढ़ी मुश्किलें, 21 करोड़ का नोटिस

पार्थ पवार की लैंड डील में नई चुनौतियाँ


महाराष्ट्र न्यूज: पुणे में एक विवादास्पद भूमि सौदे के चलते पार्थ पवार की समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं। अजित पवार के बेटे की कंपनी Amadea Enterprises LLP को 21 करोड़ रुपये का आर्थिक झटका लगा है। कंपनी ने 40 एकड़ सरकारी भूमि के सौदे को रद्द करने के लिए आवेदन किया था, लेकिन रजिस्ट्रार कार्यालय ने कहा कि यह रद्द तभी होगा जब कंपनी पूरी स्टाम्प ड्यूटी और जुर्माना अदा करे। यह मामला पहले से ही दो एफआईआर के कारण विवादों में है।


जमीन का आरक्षण और विवाद

यह 40 एकड़ भूमि दलितों के लिए आरक्षित 'महार वतन' श्रेणी की बताई जा रही है। 1959 में इसे बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया को 15 साल की लीज पर दिया गया था, जिसे 2038 तक बढ़ा दिया गया। आरोप है कि दस्तावेजों में हेराफेरी कर शीतल तेजवाणी ने 272 लोगों की पावर ऑफ अटॉर्नी हासिल की और Amadea Enterprises LLP को यह भूमि बेच दी। जब सरकारी भूमि की वास्तविकता सामने आई, तो कंपनी ने सौदा रद्द करने का प्रयास किया।


रजिस्ट्रार द्वारा भेजा गया नोटिस

कंपनी ने 500 रुपये के स्टाम्प पेपर पर कैंसलेशन डीड तैयार कर रजिस्ट्रार कार्यालय में सौदा रद्द करने का आवेदन दिया था। कंपनी ने कहा कि डेटा सेंटर प्रोजेक्ट अब नहीं बनाना है, इसलिए सौदा समाप्त किया जाए। लेकिन पुणे के सब रजिस्ट्रार ए.पी. फुलारे ने नियमों के अनुसार कंपनी को 21 करोड़ रुपये स्टाम्प ड्यूटी और जुर्माना भरने का आदेश दिया। नोटिस Amadea Enterprises LLP के पार्टनर दिग्विजय पाटिल को भेजा गया है।


डील की तारीख और टैक्स छूट

यह भूमि 20 मई 2025 को 300 करोड़ रुपये में खरीदी गई थी। उस समय कंपनी ने राज्य सरकार की 1 फरवरी 2024 की अधिसूचना के तहत स्टाम्प ड्यूटी में छूट प्राप्त की थी। यह छूट केवल डेटा सेंटर और आईटी प्रोजेक्ट्स पर लागू थी। लेकिन अब जब कंपनी ने प्रोजेक्ट रद्द कर दिया है, तो छूट की शर्त भी समाप्त हो गई। इसी कारण कंपनी को पूरी स्टाम्प ड्यूटी और टैक्स अदा करना होगा।


रजिस्ट्रार कार्यालय की जांच

नोटिस में कहा गया है कि कंपनी द्वारा जमा की गई कैंसलेशन डीड में स्टाम्प ड्यूटी में गड़बड़ी पाई गई है। महाराष्ट्र स्टाम्प एक्ट की धारा 25(b)(i) के तहत कंपनी को कुल 7 फीसदी टैक्स - 5% जुर्माना, 1% लोकल इंस्टिट्यूशन टैक्स और 1% मेट्रो टैक्स अदा करना होगा। यह राशि 300 करोड़ के सौदे पर लगभग 21 करोड़ रुपये बनती है। वहीं, अजित पवार पहले ही कह चुके हैं कि पार्थ को भूमि के सरकारी होने की जानकारी नहीं थी।